
जयपुर। नेट-थियेट की श्रृंखला में शनिवार को सुप्रसिद्ध ध्रुवपद गायिका डॉ मधुभट्ट तैलंग ने ध्रुवपद की शुरुआत नवरात्रि के अवसर पर माँ दुर्गा से सम्बंधित माधुर्यपूर्ण भक्ति रचना से की। उन्होंने ध्रुवपद के विलंबित से लेकर वृत अंग के आलापों के बाद धमार में पार करो माता दुर्गे भवानी शब्द रचना की विविध सृजनात्मक लयकारियों को अनेक इकाइयों में बोल एवम लय बाट के अनेक कठिन स्वरूपों को दर्शाया। नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि डॉ मधुभट्ट ने राग मधुरमन्दि जो इनके द्वारा परिकल्पित है। जिसमे दुर्गा के शांत करुणामय रूप एवम रौद्र शत्रुनाशिनी के रूपों को दर्शाया है।
डॉ मधुभट्ट तैलङ्ग ध्रुवपदाचार्य पण्डित लक्ष्मण भट्ट तैलङ्ग की पुत्री एवम शिष्या है। उन्होंने राग द्रुत सुरताल मैं “मोरी सुध लीजै दुर्गे भवानी” में भी लय व सुरों के सामंजस्य द्वारा अनेक तिहाइयों व चक्रधर का वैविध्य दर्शाया। धु्रवपद में रागमाला दुर्लभ है। डॉ मधुभट्ट ने अनेक रागमलाओं के नवाचार पेश किये। इसके पश्चात भैरवी राग में दुर्गा नाम के नो दैवीय रागों का अद्भुत प्रयोग को स्थाई अंतरा में प्रस्तुत किया।
उनके साथ सारंगी पर अमरुद्दीन खान, नवोदित पखावाज वादक ऐश्वर्य आर्य एवम तानपुरा पर प्रदीप टांक ने उम्दा संगत कर ध्रुवपद परवान चढ़ाया। डॉ मधुभट्ट ने मातृ वंदना राग देस की पारंपरिक रचना वन्दे मातरम को ध्रुवपद शैली में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन पं लक्ष्मण भट्ट तैलंग द्वारा सृजित रचना ताल-सुलताल राग मालकोश में अम्बे जगदम्बे खडग खप्पर धारिणी गाकर किया। कार्यक्रम का संचालन धृति शर्मा ने किया। संगीत विष्णु कुमार जांगिड़, प्रकाश मनीज स्वामी का व दृश्य सज्जा जितेंद्र शर्मा, भव्य तिवारी अंकित नोनू, सौरभ, अंकित जांगिड़ की रही।