भारत को सबसे हरा-भरा और स्वच्छ बनाने की दिशा में ग्लोबल ग्रीन ग्रुप करेगा ट्री-प्लांटिंग

हरित वातावरण को लेकर काम कर रहे डॉ. मयंक ग्लोबल ग्रीन ग्रुप के बैनर तले दुनिया भर में करते हैं ट्री-प्लांटिंग

दुबई। हरित पर्यावरण (green environment) के क्षेत्र में काम करने वाले डॉ. मयंक वत्स ने कहा है कि भारत में जोन वाइज ग्रीनरी पर काम करने की कार्ययोजना बना रहे हैं। हम कोविड से पहले बहुत एक्टिव थे, एक बार फिर हम हरित वातावरण के लिए तेजी से काम करेंगे। हम बड़े स्तर पर वृक्षारोपण कर भारत के वातावरण को हरित बनायेंगे। बतौर चीफ फाउंडर के रूप में दुनिया भर में एक ग्लोबल ग्रीन ग्रुप (Global Green Group) बनाया है। दुबई, सेशेल्स और साइप्रस में हमारे वृक्षारोपण कार्यक्रम बेहद सफल रहे और हमने इस ग्रुप के माध्यम से दुबई में भी सैकड़ों बड़े पेड़ लगाए। अब भारत भी हमारी इसी मुहिम का हिस्सा है। डॉ. मयंक ने कहा कि मैं भारत के लिए सबसे हरा-भरा और स्वच्छ बनाने की दिशा में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता हूं ।

डॉ. मंयक कहते हैं वातावरण के लिए ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और जलवायु (Climate) का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा है कि पेड़ों, जंगलों की कटाई के साथ ही बढ़ते रेगिस्तान (desert) के आकार, कोविड-19 महामारी और कई सामाजिक समस्याएं हरे भरे वातावरण के लिए चिंता का विषय हैं, जिनका सामना आने वाली पीढिय़ों को करना पड़ सकता है। इसलिए सही समय पर हमें जागरुक होना बहुत जरूरी है। डॉ. मयंक ने आगे कहा कि इसलिए मैं स्कूलों, कॉलेजों, बगीचे ओर आसपास की कॉलोनियों में वृक्षारोपण (tree planting) करने के लिए लोगों से अनुरोध कर रहा हूं।

पेड़ उगाने का सरल और आसान तरीका

डॉ. मयंक कहते हैं कि पेड़ उगाने की क्रिया को हम आसानी से अपनी आदत में शुमार कर सकते हैं। सबसे आसान तरीका है कि जो कोई भी फल खा रहे हैं (आम, चीकू, अमरूद, सीताफल, संतरा, नींबू आदि) उस फल का बीज अपने बगीचे या किसी मिट्टी के बर्तन में उपयुक्त मिट्टी के 1 इंच के नीचे बीज दबा देना चाहिए और एक बार जब वे बड़े हो जाते हैं तो इसकी देखभाल करने के लिए उन्हें उपयुक्त स्थान पर फिर से लगाना चाहिए और समय-समय पर पानी और उर्वरक देना चाहिए। वृक्षारोपण करने और हमारे देश को हरा-भरा और स्वच्छ बनाने का यह सबसे आसान तरीका है। आमतौर पर हमारे जीवन में सबसे ज्यादा उपयोगी पेड़ों को उसके बीज से उगाना बहुत आसान होता है जिसे हम निंबोली कहते हैं, एक बार जब वे 6 से 8 इंच बड़े हो जाते हैं तो उन्हें उपयुक्त जगह पर लगाया जा सकता है और तेजी से बढ़ाया सकता है।