चिकित्सा को बनाया सेवा का जरिया, दुबई में जरूरतमंद राजस्थानियों का करते हैं नि:शुल्क इलाज

प्रवासी राजस्थानी : जोधपुर के डॉ. रोमित पुरोहित दुबई में फैला रहे हैं मारवाड़ की माटी की खुशबू

  • डॉक्टर रोमित पुरोहित जिसके दिल मे बसता है राजस्थान...वे कहते हैं मैं आज भी आर्थिक रूप से कमजोर राजस्थानियों का इलाज करता हूं तो उनसे फीस नहीं लेता।
  • पैसे के कारण मैं किसी को भी इलाज करने से मना नहीं करता।
  • भारत में इतने मौसम हैं, इतने हिल स्टेशन हैं, इतने तीर्थ हैं कि मैं दूसरे देशों में घूमने क्यों जाऊं
  • मेरी तीनों बेटियां मुझसे भी अच्छी मारवाड़ी बोलती है तो वे राजस्थान की संस्कृति से क्यों प्रभावित नहीं होंगी
  • मेरी बेटियां दिमाग से आधुनिक हैं, लेकिन उनके दिलों में राजस्थान बसा है, राजस्थान का कल्चर बसा है, उनकी बोली आज भी घर में मारवाड़ी है

राजेन्द्र सिंह गहलोत

प्रवासी राजस्थानी पूरी दुनिया में जहां अपना परचम फैला रहें हैं, वहीं उनमें से भी कुछ ऐसे भी हैं जिनके रोम-रोम में राजस्थान समाया है, विदेश में रहने के बावजूद आधुनिकता की आंधी राजस्थान की माटी के प्रति उनके प्रेम को न मिटा सकी और ऐसे ही प्रवासी राजस्थानियो के साक्षात्कार माणक पत्रिका और जलतेदीप शुरू से ही प्रकाशित करते रहे हैं। क्योंकि कहावत है ‘घर का जोगी जोगना, आन गांव का सिद्ध, और माणक पत्रिका और जलते दीप का मानना हे कि जो प्रवासी राजस्थानी पूरी दुनिया में राजस्थान के नाम का डंका बजा रहे हैं, उन्हें राजस्थानवासी भी घर का जोगी जोगना न मानकर सिद्ध ही मानें, और जानें राजस्थान की माटी के प्रति उनका प्रेम और समर्पण, जो आज भी गुनगुनाते हैं- ‘हम तो बैठे परदेस में, देश में निकला होगा चांद। और अपनी मातृभूमि को याद करते हैं।

तो चलिये प्रवासी राजस्थानियों के साक्षात्कार की श्रृंखला की उसी कड़ी में आज डॉक्टर रोमित पुरोहित से रूबरू होते हैं। डॉक्टर रोमित पुरोहित ऐसे प्रवासी राजस्थानी हैं, जिनकी रग-रग में राजस्थान के प्रति प्रेम समाया है और समाये भी क्यों न, क्योंकि इनका जन्म ही राजस्थान के उस शहर में हुआ जहां के लिये विश्व प्रसिद्ध है कि वहां बोली में ही बहुत मिठास है और वहां के लोगों के दिलों में अथाह प्रेम, जो सूर्य की नगरी है, जी हां जोधपुर। जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में 28 अप्रेल, 1975 को जब रोमित पुरोहित का जन्म हुआ तो किसे पता था कि रोमित पुरोहित बड़े होकर डॉक्टर रोमित पुरोहित बनेंगे, लेकिन ऐसा होना इसलिये स्वाभाविक था क्योंकि इनके पिता शिवकृष्ण पुरोहित सोजत में सर्जन थे, उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग उन्हें प्यार से डॉक्टर शिब्बू कहते थे।

रोमित पुरोहित कहते हैं कि मेरे पिता ने ही मुझे सिखाया कि बेटा चिकित्सक का पेशा एक ऐसा पेशा है जिसमें पैसे नहीं मिलते तो दुआएं मिल जाती है, तभी ठान लिया था कि ये घाटे का सौदा नहीं है, इसमें कभी कभार किसी से कुछ पैसों की कमाई नहीं भी होगी तो उन लोगों की दुआएं तो कमा ही लेंगे।

इस तरह रोमित पुरोहित बने डॉक्टर रोमित पुरोहित, जिन्होंने दुबई को अपनी कर्मस्थली बनाया और दुबई सरकार के तत्त्वावधान में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम के प्रति समर्पण और अभूतपूर्व कार्यों के लिये सरकारी कर्मचारी को दिये जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक डीजीईपी अवॉर्ड से 11 बार सम्मानित किया गया, इसके अतिरिक्त उन्हें कोरोना महामारी के दौरान सराहनीय कार्यों के लिये भी सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड, बिजनेस अवॉर्ड, एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड जैसे अनगिनत अवॉर्डों से डॉक्टर रोमित पुरोहित को सम्मानित किया गया।

जरूरतमंद राजस्थानियों का करते है निःशुल्क उपचार

डॉक्टर रोमित पुरोहित कहते हैं मैं आज भी आर्थिक रूप से कमजोर राजस्थानियों का इलाज करता हूं तो उनसे फीस नहीं लेता, और आर्थिक रूप से सम्पन्न राजस्थानी जब मुझे फीस नहीं देते तो उनसे भी फीस अपने मुंह से नहीं मांगता, बस हंस देता हूं, लेकिन पैसे के कारण मैं किसी को भी इलाज करने से मना नहीं करता।

डॉक्टर रोमित पुरोहित कहते हैं कि पापा लीबिया में रहे, फिर आठवीं कक्षा में आया तो दुबई शिफ्ट हो गये थे, पापा ने शारजहां में अपना मेडिकल सेन्टर खोल लिया था। मैंने डॉक्टरी की पढ़ाई भारत में ही की और एमबीबीएस करने के बाद पापा के साथ प्रेक्टिस करने दुबई चला आया। 2007 में इंग्लैंड से एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) किया, फिर दुबई आ गया।

पूरे परिवार के मन में रचा बसा है राजस्थान

दुबई भले ही मेरी कर्मस्थली है लेकिन जोधपुर में जो प्यार भरा माहौल है वह इतना याद आता है कि मैं हर साल 2-3 माह के लिये भारत आता हूं तो एक माह तो जोधपुर में रहता हूं और बाकी समय भारत के ही अलग अलग हिल स्टेशन, तीर्थ घूमता हूं, क्योंकि भारत में इतने मौसम हैं, इतने हिल स्टेशन हैं, इतने तीर्थ हैं कि मैं दूसरे देशों में घूमने क्यों जाऊं। मैं इंग्लैंड घूम घूमकर थक चुका हूं। राजस्थान से बहुत यादें जुड़ी हुई हैं। मेरी मां इंदु पुरोहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राखी बांधती हैं, इस रिश्ते से अशोक गहलोत जी मेरे मामाजी हुए। नवलकिशोर पुरोहित मेरे ससुर एडिशनल एसपी रहे।

मेरे तीन बेटियां है, बड़ी बेटी रिद्धिमा 16 साल की है, दूसरी बेटी शगुन 10 साल की हैं, तीसरी सबसे छोटी बेटी शनाया 6 साल की है, और मजे की बात यह है कि मेरी तीनों बेटियां मुझसे भी अच्छी मारवाड़ी बोलती है तो वे राजस्थान की संस्कृति से क्यों प्रभावित नहीं होंगी, मेरी तीनों बेटियां दिमाग से आधुनिक हैं, लेकिन उनके दिलों में राजस्थान बसा है, राजस्थान का कल्चर बसा है, उनकी बोली आज भी घर में मारवाड़ी है, मैंने उन्हें पूरी स्वतंत्रता दी है कि तुम जो भी बनना चाहती हो, बनों, उसके लिये तुम्हें साधन उपलब्ध करवाऊंगा, लेकिन अपनी ईच्छा नहीं लादूंगा कि तुम्हें डॉक्टर ही बनना है या कुछ और ही बनना है।

मैं सोचने लगा कि डॉक्टर रोमित पुरोहित ने अपनी बेटियों के नाम भी बहुत सोचकर रखे हैं रिद्धिमा, शगुन, शनाया। शनाया का लेटिन में अर्थ होता है दुर्गा का रूप, रशियन में सूरज की किरण और शनाया का एक अर्थ होता है ठंडी हवा का झोंका जो पौधों से टकराकर आता है, और डॉक्टर रोमित पुरोहित की बातों में मुझे भी ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ।

खेलों के साथ रखते है गायन का शौक

डॉक्टर रोमित पुरोहित को भले ही खेलों का, उसमें भी विशेष रूप से क्रिकेट का बहुत शौक रहा हो, लेकिन गायन उनकी आत्मा को छूता है, उनके पसंदीदा गायक हैं मेंहदी हसन, गुलाम अली, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, तलत महमूद, लेकिन पहले पायदान पर हैं जगजीत सिंह जिनकी गजलों के वह दीवाने हैं। जगजीतसिंह का नाम आये और डॉक्टर रोमित पुरोहित ये गजल नहीं गुनगुनायें हो ही नहीं सकता –
होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो,
बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो,
आकाश का सूनापन मेरे तन्हा मन में,
पायल खनकाती तुम आ जाओ जीवन में,

और ये गीत का असर ही था कि पायल खनकाती सोनल पुृराहित आ गई डॉक्टर रोमित पुरोहित के जीवन में उनकी धर्मपत्नि बनकर मेड़ता में मीरा मंदिर के पास उनके मकान से, यह भी एक कारण है डॉक्टर रोमित पुरोहित के बार-बार राजस्थान आने का, शायद रोमित पुरोहित व सोनल पुरोहित मेरी बात का आनंद लेंगे, क्योंकि ये हास-परिहास राजस्थानी ही कर सकता है और राजस्थानी ही सुनकर उसका आनंद ले सकता है, और डॉक्टर रोमित पुरोहित भले ही प्रवासी हो, लेकिन लगता है जैसे वो गा रहे हों – हम लोगों को समझ सको तो समझो दिलवर जानी, उल्टी सीधी जैसी भी है अपनी यही कहानी, फिर भी दिल है राजस्थानी, फिर भी दिल है राजस्थानी।

कई अवॉर्ड एवं सम्मान से हुए है सम्मानित

  • 2011 से लगातार दुबई सरकार द्वारा यूएई सरकार का मेडिकल प्रोफेशन में सबसे प्रतिष्ठित ‘दुबई एक्सीलेंस अवॉर्ड प्राप्त कर रहे हैं।
  • ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल, यूके द्वारा डॉ.रोमित पुरोहित को कोविड-19 एश्योरेंस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2018 में इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड से उन्हें एचएमए फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2019 में बिजनेस अवॉर्ड, यूके से सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2021 में उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड , इंडिया, स्वदेशी-मेड इन इंडिया अवॉर्ड से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है।
  • 2021 में उन्हें अटल भारत स्पोर्टस एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, गर्वमेंट ऑफ इंडिया द्वारा अटल नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2018 में राजस्थान बिजनेस एंड प्रोफेशनल ग्रुप, यूएई द्वारा सम्मानित हुए हैं।
  • 2017 में एमर्जिंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर , इंडियन बिजनेस अवॉर्ड (आईएमए) से सम्मानित हुए
  • 2017 में इमरजेंसी पर्सेनालिटी एंड फिलॉन्थ्रोपिस्ट के लिए एचई सुहैल मोहम्मद जरूनी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
    द्य 2017 में इनडोर क्रिकेट विश्व कप में टीम इंडिया के मोटिवेशनल कोच के रूप में भारत के इनडोर क्रिकेट परिषद द्वारा संदीप पाटिल ने सम्मानित किया।