
ठंड जैसे-जैसे बढ़ती है, वैसे-वैसे खुद को हेल्दी और फिट बनाए रखने के लिए सेहतमंद और गर्म रखने वाले फूड आइटम्स की डिमांड बढऩे लगती है। इस मौसम में शरीर की बीमारियों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए कांजी, एक फर्मेंटेड ड्रिंक पीना अच्छा उपाय है। कांजी प्राकृतिक प्रोबायोटिक गुणों से भरपूर होती है, जो न केवल आंत के स्वास्थ्य को बनाए रखती है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स भी करती है। ऐसे में यहां कुछ कांजी ड्रिंक्स की जानकारी दी गई है, जो सर्दियों में आपके स्वास्थ्य को बनाए रखने में आपकी मदद करेंगी। यह कांजी सबसे लोकप्रिय और पौष्टिक ड्रिंक है। गाजर और चुकंदर के टुकड़ों को सरसों के दाने, नमक और पानी में मिलाकर 3-4 दिनों तक फर्मेंटेशन के लिए रखा जाता है। इसका गहरा लाल रंग और खट्टा-तीखा स्वाद इसे खास बनाता है। इम्युनिटी बढ़ाने और गट हेल्थ के लिए सर्दियों में पिएं 6 तरह की कांजी
काले गाजर की कांजी

काले गाजर सर्दियों की खासियत हैं। इसका इस्तेमाल कांजी में करने से न केवल यह देखने में अच्छी लगती है, बल्कि यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। इसे सरसों और लाल मिर्च के मसाले के साथ तैयार किया जाता है।
मूली कांजी
मूली भी अपने डिटॉक्सीफाइंग गुणों के लिए जानी जाती है। मूली के पतले टुकड़ों को सरसों और अदरक के साथ मिलाकर तैयार की गई यह कांजी पाचन में सुधार करती है और शरीर को अंदर से साफ करती है।
गोभी, गाजर वाली मिक्स कांजी
उबले आलू, फूलगोभी और गाजर का यह मिक्स कांजी को नया स्वाद और कुरकुरापन देता है। यह कांजी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए भी बेहतरीन है। इसे अदरक, सरसों का तेल, हींग और सरसों जैसे मसालों से तीखा बनाया जा सकता है।
मेथी और मूली कांजी
मेथी दाना और मूली का मेल कांजी को औषधीय गुण देता है। यह सर्दियों में जोड़ों के दर्द और शरीर की थकावट को दूर करने में मदद करती है। इस कांजी को रोज पिया जा सकता है।
हल्दी और गाजर कांजी
हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण गाजर के साथ मिलकर शरीर को इन्फेक्शन से बचाने वाली एक औषधीय कांजी बनाते हैं। यह कांजी स्वाद और सेहत का बेहतरीन मिक्स है।
कांजी बनाने का तरीका
सब्जियों को धोकर छोटे टुकड़ों में काटें और उबालकर छान लें। ठंडा होने पर इसमें सरसों के दाने, हींग, लाल मिर्च पाउडर, नमक और मसाले डालें। अब कांच के जार या मटके में उबालकर ठंडा किए हुए पानी के साथ सभी को भरें। इसे 3-4 दिनों तक धूप में रखें और दिन में दो बार हिलाएं। 5वें दिन से यह पीने के लिए तैयार हो जाती है।