
कैंसर नियंत्रण के अवसरों की पहचान करने का एक तार्किक तरीका यह है कि सामान्य कैंसर के कारणों और जोखिम कारकों के बारे में हम जो जानते हैं उस पर विचार करें और फिर इस पर विचार करें कि उन्हें खत्म करना या संशोधित करना कितना आसान या कठिन है जिससे कैंसर की घटनाओं को कम किया जा सके। जहां कारणों या जोखिम कारकों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है, केवल कमजोर हैं, या आसानी से बदला नहीं जा सकता है, वहां अवसर इस बात में निहित हैं कि जिन लोगों को कैंसर हो जाता है उन्हें ठीक करना कितना आसान या मुश्किल है या कैंसर से पीडि़त उन लोगों की देखभाल करना कितना आसान या कठिन है जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है।
ये हैं दो प्रमुख जोखिम कारक
ट्रस्ट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पामेला हीली कहती हैं, लिवर कैंसर के मामलों और इसके कारण होने वाली मौतों में वृद्धि का मुख्य कारण शराब का सेवन और मोटापा है। हममें से बहुत से लोग बहुत अधिक शराब पी रहे हैं और अधिक वजन के शिकार भी हैं। हमें इन दोनों विषयों पर गंभीरता से विचार करते रहने की आवश्यकता है जिससे वैश्विक स्तर पर बढ़ती इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के जोखिम को कम किया जा सके। यह अब भी ब्रिटेन में कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे तेजी से बढ़ता कारण है। 1970 के दशक की शुरुआत से लिवर कैंसर से मृत्यु दर के जोखिम में तीन गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई है।
ब्रिटेन में बड़ा खतरा

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में हर साल प्राथमिक लिवर कैंसर के लगभग 6,000 मामले सामने आते हैं, यानी यह प्रतिदिन लगभग 16 केस के बराबर है। प्राथमिक लिवर कैंसर से पीडि़त केवल 13 प्रतिशत लोग ही पांच साल या उससे अधिक समय तक जीवित रहते हैं क्योंकि सभी कैंसरों की तुलना में इससे जीवित रहने की दर सबसे कम है। डॉक्टरों की टीम कहती है, सभी उम्र के लोगों को लिवर कैंसर से बचाव के तरीकों का पालन करते रहना आवश्यक है, इसमें आहार से संबंधित सुधार सबसे जरूरी हो जाता है।
डायबिटीज और फैटी लिवर की समस्या वालों में भी जोखिम

डॉक्टर कहते हैं, जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है या फिर अल्कोहलिक/ नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी ) के शिकार हैं उनमें समय के साथ लिवर कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज की अनियंत्रित स्थिति शरीर में अतिरिक्त फैट का निर्माण कर सकती है। इससे एनएएफएलडी होने और लिवर कैंसर का खतरा अधिक होता है। जीवनशैली में बदलाव के साथ इन दोनों समस्याओं के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।