
मीठा खाना किसी का मूड बना सकता है, तो किसी में ये मूड स्विंग्स की परेशानी पैदा कर सकता है। वहीं ज्यादा मीठा खाने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर होता है। ये हम नहीं बल्कि हाल में आई एक स्टडी बता रही है।
इस स्टडी की मानें, तो भोजन हमारे शरीर में कुछ भावनाओं को ट्रिगर करता है, जिसमें ज्यादा मीठा खाना अवसाद की भावनाओं को बढ़ाता है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग ज्यादा प्रोसेसड कार्ब्स या मीठे का सेवन करते हैं, उनमें पांच साल की अवधि में अवसाद का विकास हो सकता है। तो आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से।

डिप्रेशन और शुगर के बीच कनेक्शन
चीनी दो प्रकार की होती है, पहला सिंपल शुगर, जो कि सब्जियों, फलों और नट्स में पाई जाती है। दूसरा प्रोसेस्ड शुगर, जो कि हाई कैलोरी वाले होते हैं। यह चॉकलेट, ड्रिंक्स और काफी सारी चीजों में पाया जाता है। वहीं सिंपल शुगर चूंकि यह अन्य खनिजों, विटामिन और फाइबर के पूरक है, इसलिए शरीर इसे अवशोषित करने में समय लेता है।
हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद, शुगर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तोड़ देती है, जो बाद में ऊर्जा के लिए कोशिकाओं को आपूर्ति की जाती है। लेकिन बहुत अधिक ऊर्जा भी एक समस्या है, क्योंकि जब आप इसे नहीं खाएंगे, तो आपको कमजोरी महसूस होगी और आपको फिर से मीठे की क्रेविंग होगी। इस तरह आपको चीनी खाने की लत विकसित हो सकती है।
डोपामाइन बढ़ाता है शुगर
जब आप चीनी का सेवन करते हैं, तो आपके मस्तिष्क में डोपामाइन का लेवल बढऩे लगता है, जिससे कि मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और अवसाद महसूस होता है। वहीं जब आप बड़ी मात्रा में मीठी चीजों का सेवन करते हैं, तो आपका शरीर कुछ निश्चित रासायनिक परिवर्तन करना शुरू कर देता है, जिससे शुगर खाने की क्रेविंग और तेजी से बढ़ जाती है।
तब जब आप इसे नहीं खा पाते हैं, तो आप कर्कश, चिड़चिड़े, चिंतित, गंभीर और हर समय उदास महसूस करते हैं। वहीं साइंस रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, चीनी के सेवन से महिलाओं में सामान्य मानसिक विकार और अवसाद होने की संभावना अधिक होती है।
शरीर में सूजन व अवसाद का कारण बन सकता है चीनी
भोजन का हमारे मूड और भावनाओं पर बहुत प्रभाव पड़ता है। चीनी मूड में गड़बड़ी और अवसाद को ट्रिगर करने के जोखिम को बढ़ा सकती, जो कि शरीर में सूजन को बढ़ाता है, जिसका अवसाद के साथ बहुत बड़ा संबंध है। वहीं ये भूख में कमी, नींद के पैटर्न में बदलावों को भी पैदा करता है, जो कि अवसाद बढ़ाने वाले बड़े कारक भी हैं।
ऐसे में अवसाद से निपटने के लिए अपने इंसुलिन के स्तर को सहीं रखना बेहद जरूरी है। दरअसल आपके शरीर में इंसुलिन के उतार-चढ़ाव, चयापचय में गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जो कि वजन बढ़ा सकता है और कई बीमारियों का शिकार बना सकता है। वहीं कुछ नहीं तो ये आपको स्ट्रैस बढ़ायगा और आपको मानसिक रूप से परेशान करना शुरू करेगा। इसलिए खाने में चीनी की मात्रा कम करें, साथ में ज्यादा से ज्यादा प्रोसेसड फूड्स को खाने से बचें।