अब घड़ियाली आंसू नहीं बहाती सरकार, हादसे की पुनरावृति नहीं हो, इसके लिए चिंतन, मनन और कदम उठाए जाते हैं

सीएम भजनलाल शर्मा
सीएम भजनलाल शर्मा

सीएम भजनलाल शर्मा की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता

हादसे के दिन ही 3688 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए 50 करोड़ रुपए का बजट जारी किया

प्रदेश के 1936 विद्यालयों में मरम्मत, उन्नयन और विकास कार्यों के लिए 160 करोड़ रुपये की स्वीकृति

“हादसा होना बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें दोषियों के लिए माफी की कोई गुंजाईश नहीं है। लेकिन कोई भी यह नहीं चाहता कि ऐसा हादसा हो। समझने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने घड़ियाली आंसू बहाने की बजाय ऐसे हादसों की पुनरावृति नहीं हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए हैं। हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सभी कलक्टर के साथ बैठक लेते हुए उन्हें सख्त़ कदम उठाने के निर्देश दिए और उसी दिन शाम को 6 बजकर 39 मिनट पर प्रदेश के 3,688 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए 50 करोड़ रुपए का बजट जारी किया। प्रदेश के 1,936 विद्यालयों में मरम्मत, उन्नयन और विकास कार्यों के लिए 160 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए गए हैं।

मेवात, डांग, मगरा क्षेत्र विकास कार्यक्रम और विधायक कोष से भी मरम्मत के लिए राशि को 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है। हर विधानसभा क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों की मरम्मत के लिए 3 करोड़ रुपए मिलेंगे। ”

जयपुर/झुंझुनूं । झालावाड़ के पीपलोदी में गत 25 जुलाई को हुए हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। हादसे की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारणों का पता चल पाएगा। क्योंकि प्रत्यक्षदर्शियों व स्थानीय लोगों के मुताबिक जो कमरा गिरा, वह जर्जर अवस्था में नहीं था। कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन 7 बच्चों की मौत निश्चित तौर पर बेहद दुखद है और सबक देने वाला है।

हादसा होना बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें दोषियों के लिए माफी की कोई गुंजाईश नहीं है। लेकिन कोई भी यह नहीं चाहता था कि ऐसा हादसा हो। समझने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने घड़ियाली आंसू बहाने की बजाय ऐसे हादसों की पुनरावृति नहीं हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए हैं। हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सभी कलक्टर के साथ बैठक लेते हुए उन्हें सख्त़ कदम उठाने के निर्देश दिए और उसी दिन शाम को 6 बजकर 39 मिनट पर प्रदेश के 3,688 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत का बजट जारी किया। प्रदेश के 1,936 विद्यालयों में मरम्मत, उन्नयन और विकास कार्यों के लिए 160 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए गए हैं। मेवात, डांग, मगरा क्षेत्र विकास कार्यक्रम और विधायक कोष से भी मरम्मत के लिए राशि को 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है। हर विधानसभा क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों की मरम्मत के लिए 3 करोड़ रुपए मिलेंगे।

अब घड़ियाली आंसू नहीं बहाती सरकार, हादसे की पुनरावृति नहीं हो, इसके लिए चिंतन, मनन और कदम उठाए जाते हैं

यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि अमूमन धीमे माने जाने वाले सिस्टम ने सीएम शर्मा के निर्देशन में कितनी तेजी से काम किया है कि सभी जिलों से जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों व अन्य भवनों की सूची भी तुरंत आई, उनकी मरम्मत के लिए कितनी राशि चाहिए इसका एस्टीमेट भी बनाया गया है। एस्टीमेट बनने के बाद वह अप्रूव भी हुआ है। फिर वित्त एवं अन्य विभागों से आवश्यक प्रक्रियाओं की पूर्ति होते हुए महज कुछ घंटों में ही यह स्वीकृत भी हुआ है। यह उदाहरण यह जताने के लिए काफ़ी है कि हुए हादसे को तो बदल नहीं सकते, लेकिन आगे फिर से हादसे नहीं हो, इसके लिए सीएम भजनलाल शर्मा कितने प्रतिबद्ध हैं।

गौरतलब है कि अजमेर जिले के 185, अलवर के 6, ब्यावर के 109, बारां के 48, भीलवाड़ा के 232, बीकानेर के 55, बूंदी के 22, चित्तौड़गढ़ के 51, दौरा के 153, डीडवाना-कुचामन के 260, धौलपुर के 5, डूंगरपुर के 16, हनुमानगढ़ के 168, जयपुर के 123, जालौर के 132, झालावाड़ के 118, झुंझुनूं के 289, करौली के 101, खैरथल-तिजारा के 24, कोटा के 37, कोटपुतली-बहरोड़ के 24, नागौर के 186, पाली के 141, राजसमंद के 81, सलूंबर के 198, सवाई माधोपुर के 120, श्रीगंगानगर के 114, सिरोही के 317, टोंक के 129 व उदयपुर के 344 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए बजट जारी किया गया है।

ठीक इसी तरह सीएम शर्मा के निर्देशों पर राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने राज्य के 1936 विद्यालयों में मरम्मत, उन्नयन और विकास कार्यों के लिए 160 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। इस राशि से भवन मरम्मत, छत एवं दीवारों का सुदृढ़ीकरण, फर्श और शौचालय सुधार, बिजली एवं जल सुविधाओं का विकास, खेल मैदान का सुधार तथा कक्षाओं का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इसके तहत अजमेर में 47, अलवर में 48, बालोतरा में 44, बांसवाड़ा में 57, बारां में 36, बाड़मेंर में 60, ब्यवार में 29, भरतपुर में 35, भीलवाड़ा में 118, बीकानेर में 56, बूंदी में 35, चित्तौडगढ में 42, चूरू में 27, दौसा में 42, डीग में 30, धौलपुर में 59, डीडवानामेंकुचामन में 59, डूंगरपुर में 46, गंगानगर में 37, हनुमानगढ़ में 31, जयपुर में 174, जैसलमेर में 31, जालौर में 50, झालावाड़ में 51, झुंझुनूं में 44, जोधपुर में 72, करौली में 41, खैरथल-तिजारा में 11, कोटा में 76, कोटपुतली में 28, नागौर में 49 , पाली में 62, फलोदी में 19 , प्रतापगढ़ में 33 , राजसमंद में 33 , सलूंबर में 16 , सवाई माधोपुर में 39, सीकर में 42 , सिरोही में 27, टोंक में 32 व उदयपुर में 68 विद्यालयों की मरम्मत के लिए बजट जारी किया गया है।

दरअसल हम हमेशा इतिहास से सीखते आए हैं। पूरी मानव सभ्यता का क्रमिक विकास इसी गुण पर टिका हुआ है। कभी किसी वक्त इंसान का आग से हाथ भी जला होगा, तब उसने आग को नियंत्रण में करने के लिए विभिन्न तरीके खोजे और कालांतर में माचिस बनाई। इसी तरह नदी-समंदर के पानी में कितने इंसान डूबे होंगे, तब जाकर नाव और जहाज बनें होंगे। जिन इंसानों ने इस क्रमिक विकास यात्रा में अपनी जान गंवाई होंगी, वह निश्चित तौर पर दुखद रहा है। लेकिन उनसे सीखकर फिर से कोई जान नहीं गंवाए, यह महत्वपूर्ण है। यही काम वर्तमान राज्य सरकार ने किया है। कोई भी सिस्टम 100 फीसदी सुरक्षित नहीं होता, लेकिन प्रयास हमेशा 100 फीसदी होने चाहिए। वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य सरकार यही कार्य कर रही है, ताकि आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो। बतौर सजग और जागरुक नागरिक, आओ! हम भी नकात्मक मानसिकता से बेवजह मुद्दे उठाने और हंगामा करने की बजाय अपने आसपास के वातावरण, भवन, घरों, की स्थिति के लिए जागरुक बनें और ऐसे हादसों की पुनरावृति होने से रोकें।

हिमांशु सिंह
हिमांशु सिंह

– हिमांशु सिंह, जिला जनसंपर्क अधिकारी, झुंझुनूं