
नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। अनुमान है कि 2030 तक दुनिया भर में बिकने वाली कारों में 40 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिक होंगी। वर्ष 2025 के अंत तक वैश्विक इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 20 करोड़ के पार जा सकती है, यानी हर चौथी बिकने वाली कार इलेक्ट्रिक होगी। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की ताजा रिपोर्ट ‘ग्लोबल ईवी आउटलुक 2025’ में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती लोकप्रियता का मुख्य कारण उनकी घटती कीमतें हैं और यह पहले के मुकाबले ज्यादा किफायती भी हो गईं हैं। जैसे-जैसे बाजारों में इनकी कीमतें आम उपभोक्ता की पहुंच में आ रही हैं, वैसे-वैसे बिक्री में भी तेजी देखी जा रही है। 2024 में दुनिया भर में 1.7 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक कारें बिकीं, जिससे वैश्विक बाजार में इनकी हिस्सेदारी पहली बार 20 फीसदी के पार पहुंच गई। वहीं 2025 की पहली तिमाही में बिक्री में 35 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई और कई बड़े बाजारों में नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं।
2019 में भारत में बिकीं 680 कारें, 2024 में एक लाख से ज्यादा
भारत समेत एशिया और लैटिन अमेरिका के उभरते बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेज़ी से बढ़ी है। 2024 में इन क्षेत्रों में ईवी की बिक्री में 60 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई। भारत में 2019 में मात्र 680 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं, लेकिन 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर एक लाख पार हो गया, यानी 146 गुना वृद्धि हुई। 2023 में यह संख्या 82,000 थी और 2025 की पहली तिमाही में लगभग 35,000 इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई, जो साल दर साल 45 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है।
कीमतों में गिरावट बनी आकर्षण की मुख्य वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में बैटरी की कीमतों में कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण इलेक्ट्रिक कारों की औसत कीमतों में गिरावट आई। चीन में पिछले वर्ष बेची गई दो-तिहाई ईवी पारंपरिक पेट्रोल-डीजल कारों से सस्ती थीं, जबकि वहां कोई सरकारी सब्सिडी नहीं दी गई।
ईंधन और रखरखाव की लागत में भी इलेक्ट्रिक कारें सस्ती
ईंधन और रखरखाव की लागत के लिहाज से इलेक्ट्रिक कारें पारंपरिक वाहनों की तुलना में अब भी काफी सस्ती हैं। उदाहरण के लिए यदि कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल तक भी घट जाए तब भी यूरोप में घरेलू चार्जिंग से इलेक्ट्रिक कार चलाना पारंपरिक कार के मुकाबले आधे खर्च में संभव है।