
नई दिल्ली । ‘आपातकाल की 50वीं बरसी’के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।
प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि आपातकाल कोई राष्ट्रीय संकट का परिणाम नहीं था, बल्कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने की कोशिश थी।
शाह ने आपातकाल की परिभाषा देते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के बहुदलीय लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के षड्यंत्र का नाम आपातकाल है। उस समय जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।
अमित शाह ने कहा कि 24 जून 1975 की रात स्वतंत्र भारत की सबसे काली रात थी, क्योंकि इसके बाद लोकतंत्र की सुबह पूरे 21 महीने बाद आई। उन्होंने कहा कि इस अवधि में न तो संसद की सहमति ली गई, न कैबिनेट की बैठक बुलाई गई और न ही विपक्ष को विश्वास में लिया गया। सिर्फ सत्ता बचाने के लिए देश को तानाशाही के अंधेरे में धकेल दिया गया।