
हनुमानगढ़। जिले में रबी फसलों के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिलने की आशंका के चलते कृषि विभाग की ओर से सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उर्वरक के किसानों को लाभ बताए जा रहे हैं। सोमवार को कृषि विभाग के आत्मा परियोजना सभागार में हुई जिला स्तरीय किसान गोष्ठी में उपनिदेशक कृषि (विस्तार) दानाराम गोदारा ने बताया कि रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है व किसान फास्फेटिक उर्वरक के लिए सामान्यत: डीएपी उर्वरक का प्रयोग करता है।
वर्तमान में डीएपी खाद की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में नहीं है, हालांकि सरकार इसकी पर्याप्त उपलब्धता के लिए प्रयासरत है। फास्फेटिक उर्वरक के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। डीएपी के स्थान पर एसएसपी उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है। किसानों को बताया कि सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक सस्ता तथा आसानी से प्राप्त होने वाला उर्वरक है, जो कि फास्फोरस के साथ-साथ सल्फर एवं कैल्शियम पोषक तत्वों की भी पूर्ति करता है। विशेषकर तिलहन एवं दलहन फसलों के लिए बहुत उपयोगी है।
सिंचाई पानी की कमी के चलते गेहूं की बजाए सरसों और चना की बिजाई करने की अपील: गोष्ठी में उपनिदेशक दानाराम गोदारा ने बताया कि इस बार सिंचाई पानी की कमी है। ऐसी स्थिति में अधिक पानी से होने वाली गेहूं जैसी फसलों के स्थान पर कम पानी से पकने वाली सरसों व चना फसल की किसानों को बिजाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कलेक्टर के निर्देशानुसार प्रत्येक कृषि पर्यवेक्षक मुख्यालय पर मंगलवार को एक-एक किसान गोष्ठी आयोजित कर एसएसपी उर्वरक को बढ़ावा देने की जानकारी दी जाएगी।
प्रशासन गांवों के संग अभियान में भी किसानों को इस बारे में जानकारी देकर जागरूक किया जाएगा। परियोजना निदेशक आत्मा बलवीर सिंह खाती ने बताया कि सरसों व चना में न केवल कम सिंचाई पानी की आवश्यकता होती है बल्कि उर्वरकों की भी कम जरूरत होती है। इस मौके पर उप निदेशक कृषि (शस्य) रंगपाल सिंह डांगी, कृषि अनुसंधान अधिकारी गुरसेवक सिंह तूर, वरिष्ठ वैज्ञानिक विजयप्रकाश आर्य, सहायक निदेशक कृषि स्वर्ण सिंह अराई, कृषि अधिकारी श्री बलकरण सिंह, उप परियोजना निदेशक साहबराम गोदारा, कृषि पर्यवेक्षक जगदीश दूधवाल आदि मौजूद रहे।
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