‘जॉली एलएलबी 3’: कोर्टरूम ड्रामा में हंसी, गुस्सा और गहरी संवेदना

‘जॉली एलएलबी 3’: कोर्टरूम ड्रामा में हंसी, गुस्सा और गहरी संवेदना
image source : via Hindusthan Samachar
  • अक्षय कुमार और अरशद वारसी बने दो जॉली
  • किसानों की आत्महत्या और जमीन कब्ज़े पर उठी आवाज
  • सौरभ शुक्ला ने जज के रूप में फिर जमाया रंग

‘Jolly LLB 3’:  फिल्मों में कोर्टरूम ड्रामा का जिक्र आते ही जॉली एलएलबी का नाम याद आता है। 2013 और 2017 के बाद अब तीसरे पार्ट जॉली एलएलबी 3 के साथ सुभाष कपूर लौटे हैं। इस बार उन्होंने कहानी को और गहराई दी है, जिसमें मनोरंजन के साथ-साथ समाज का दर्द भी झलकता है।

फिल्म की शुरुआत राजस्थान के बीकानेर से होती है। किसान राजाराम सोलंकी आत्महत्या कर लेता है क्योंकि उसकी जमीन एक रियल एस्टेट कंपनी जबरन छीन लेती है। यहीं से कहानी नए मोड़ लेती है और दिल्ली की अदालत में जगदीश त्यागी उर्फ जॉली (अरशद वारसी) और जगदीश्वर मिश्रा उर्फ जॉली मिश्रा (अक्षय कुमार) आमने-सामने आते हैं। दोनों के बीच तकरार, मजाक और कोर्ट की दलीलें फिल्म को रोचक बनाए रखती हैं।

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कहानी में असली ताकत सीमा बिस्वास के किरदार जानकी से आती है, जो अपने पति को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है। जॉली और जॉली की नोक-झोंक के बीच किसानों की पीड़ा दर्शकों के दिल तक पहुंचती है।

एक्टिंग की बात करें तो अक्षय कुमार का चार्म और कॉमिक टाइमिंग बेहतरीन है, वहीं अरशद वारसी के वन-लाइनर्स दर्शकों को खूब गुदगुदाते हैं। सौरभ शुक्ला हमेशा की तरह जज सुंदर लाल त्रिपाठी के रोल में शो के असली हीरो साबित होते हैं। गजराज राव भ्रष्ट नेता की भूमिका में खतरनाक लगे, जबकि राम कपूर का वकील अवतार काफी दमदार रहा। सीमा बिस्वास ने कम संवादों से भी गहरी छाप छोड़ी।

निर्देशक सुभाष कपूर ने इस बार हास्य और व्यंग्य के बीच किसानों के दर्द को पिरोया है। फिल्म के संवाद चुभते हैं और कोर्टरूम सीन्स असली जैसी अनुभूति कराते हैं। हालांकि, कहीं-कहीं ओवरड्रामेटिक सीन और फीका संगीत थोड़ी निराशा देता है।

कुल मिलाकर, जॉली एलएलबी 3 मनोरंजन और सामाजिक संदेश का मिश्रण है। यह फिल्म हंसाती भी है, सोचने पर मजबूर भी करती है और अंत में किसानों की आवाज को गूंज के साथ दर्शकों के दिल में छोड़ जाती है।