
जयपुर। भारत सरकार के केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम में, सरकार ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी), राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के लिए समाशोधन गृह के रूप में कार्य करने के लिए एक अलग ‘भारतीय सहकारी बैंक’ स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। ऑल इंडिया कोआपरेटिव बैंक एम्प्लाईज फ़ैडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने सहकारिता मंत्री अमित शाह की घोषणा का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने ‘भारतीय सहकारी बैंक ‘स्थापना के निर्णय को सामयिक व सहकारी बैंकों की आर्थिक मज़बूती तथा सहकारी बैंक ग्राहकों के हित में महत्वपूर्ण व ज़रूरी निर्णय बताया है।
आमेरा ने बताया कि बैंक कर्मियों के सबसे बड़े संगठन एआईबीईए व सहकारी बैंक कर्मियों के एकमात्र राष्ट्रीय संगठन एआईसीबीईएफ़ ने सहकारी बैंकों की सुदृढ़ता व सक्षमता पर चेन्नई में आयोजित नेशनल सेमिनार में भारतीय सहकारी बैंक की स्थापना व टू टियर सहकारी बैंकिंग का प्रस्ताव पारित कर माँग की गई थी।
हम संगठन स्तर पर भारत सरकार से सतत यह माँग करते आ रहे थे जिस पर भारत सरकार की सहमति व अमित शाह की घोषणा ने फ़ैडरेशन के विजन पर मोहर लगाई है जिसका हम स्वागत करते है। इस निर्णय के क्रियान्वयन से सहकारी बैंकों के तकनीकी उन्नयन में आर्थिक मदद और अवसायन व बन्द होने की बुराई पर भी रोक लगेगी। इस पहल को राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त और विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा और अगले दो वर्षों के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
पुणे में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी बैंकों के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई थी, जिसके दौरान यह घोषणा की गई थी कि एनयूसीएफडीसी के लिए शेयर पूंजी में 300 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। यह पूंजी निवेश सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता, तकनीकी उन्नयन और ढांचागत सहायता प्रदान करेगा, जिससे उनकी स्थिरता और कुशल कार्यप्रणाली सुनिश्चित होगी।
इस पहल से, देशभर के सहकारी बैंकों को अपनी सेवाओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता, कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) अपनाने और वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। इस कदम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलने, परिचालन दक्षता बढ़ाने और वित्तीय संकट का सामना कर रहे सहकारी बैंकों के लिए एक मजबूत सहायता प्रणाली प्रदान करने की उम्मीद है।