
आजकल अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण फैटी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। कई लोग इसे मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है। खासकर, जब बात नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज की हो, तो यह लिवर सिरोसिस और कैंसर तक पहुंच सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फैटी लिवर और हृ्रस्नरुष्ठ एक ही नहीं हैं? आइए जानते हैं इनके बीच का अंतर, इनके खतरों और इससे बचने के उपायों के बारे में। लिवर की ज्यादा चर्बी बढऩा अच्छी बात नहीं, जानलेवा हो सकती है लापरवाही
फैटी लिवर

जब लिवर में 5त्न से ज्यादा फैट जमा हो जाती है, तो इसे फैटी लिवर कहते हैं।
यह दो प्रकार का हो सकता है:
अल्कोहोलिक फैटी लिवर – अत्यधिक शराब के सेवन से होता है।
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर (हृ्रस्नरु) – बिना शराब के सेवन के भी हो सकता है।
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज
यह फैटी लिवर की एक गंभीर स्थिति है, जिसमें लिवर में वसा जमा हो जाती है, लेकिन इसका कारण शराब नहीं बल्कि मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक समस्याएं होती हैं।
अगर इसे रोका न जाए, तो यह नॉन-अल्कोहोलिक स्टिएटोहेपेटाइटिस में बदल सकता है, जो लिवर सिरोसिस और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
फैटी लिवर के लक्षण
अगर लिवर में फैट बढऩे लगे, तो शरीर कुछ संकेत देने लगता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द या भारीपन महसूस होना
लगातार थकान और कमजोरी
बिना किसी कारण वजन बढऩा या घटना
भूख कम लगना
गंभीर स्थिति में त्वचा या आंखों में पीलापन (पीलिया का संकेत)
फैटी लिवर से होने वाले खतरे
अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह कई खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है:
लिवर सिरोसिस – लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे लिवर फेलियर हो सकता है।
डायबिटीज और हार्ट डिजीज -इससे टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है।
बैलेंस डाइट लें – फास्ट फूड, तले-भुने और ज्यादा वसा वाले खाने से बचें। हरी सब्जियां, फाइबर और प्रोटीन युक्त भोजन करें।
रेगुलर एक्सरसाइज करें – रोज कम से कम 30 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज करें।
वजन कंट्रोल करें – मोटापा हृ्रस्नरुष्ठ का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए अपना वजन संतुलित रखें।
शराब से दूरी बनाएं – अगर पहले से लिवर फैटी हो चुका है, तो शराब से पूरी तरह बचें।
डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें – ब्लड शुगर और लिपिड प्रोफाइल की नियमित जांच करवाएं।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, डॉक्टर कुनाल दास कहते हैं, फैटी लिवर और हृ्रस्नरुष्ठ को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही समय पर पहचान और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे रोका जा सकता है। खासकर, अगर मोटापा, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो लिवर की नियमित जांच करवाना बेहद जरूरी है।
अगर आपको फैटी लिवर या हृ्रस्नरुष्ठ के लक्षण दिख रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार और डॉक्टर की सलाह लेकर इसे गंभीर बीमारियों में बदलने से रोका जा सकता है। हेल्दी आदतें अपनाएं और अपने लिवर को हेल्दी रखें।
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