रीट में राजस्थानी भाषा को सम्मिलित करने की संभावनाएं तलाशें: हाईकोर्ट

राजस्थानी भाषा
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हाई कोर्ट के राज्य सरकार को निर्देश, माणक राजस्थानी पत्रिका और जलते दीप के प्रधान संपादक पदम मेहता की याचिका पर हुई सुनवाई

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स (रीट) के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को समिलित करने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।
न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी एवं न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ में याचिकाकर्ता पदम मेहता की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य विधानसभा ने 25 अगस्त, 2003 को सर्वसमति से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार को लेकर एक कानून पास किया था, जिसमें यह प्रस्तावित किया गया था कि शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी कहा गया है कि बच्चों को आठवीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा दी जाए। उन्होंने कहा कि रीट के पाठ्यक्रम में राजस्थानी शामिल नहीं है। उन्होंने राजस्थानी भाषा को इसका भाग नहीं बनाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार कानून में मातृभाषा को तरजीह दिए जाने की बात कही गई है, लेकिन रीट में राजस्थानी को नहीं जोड़ने से चयनित शिक्षकों से मातृभाषा का ज्ञान होने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

चार करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं राजस्थानी

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रदेश में चार करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा राजस्थानी भाषा में नहीं दी जा रही है। रीट में उर्दू, सिंधी, गुजराती और अंग्रेजी को स्थान दिया गया है जो मात्र कुछ हजार लोगों द्वारा बोली जाती है।

राजस्थानी भाषा को प्रमुखता देने के लिए सकारात्मक कदम उठा रही राज्य सरकार: अतिरिक्त महाधिवक्ता

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएल भाटी ने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा को प्रमुखता देने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठा रही है। खंडपीठ ने सरकार को रीट के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को समिलित करने की संभावनाएं तलाशने के लिए भी निर्देशित किया है।

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