किसान इस देश के अन्नदाता हैं, उनके हित में सभी मिलकर कार्य करें- राज्यपाल

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने लाभकारी और उन्नत खेती, फसल भंडारण के लिए विश्व स्तर पर होने वाले नवाचारों, फसल विपणन के नवीनतम अपनाए जा रहे तरीकों आदि से किसानों को अधिकतम लाभान्वित करने हेतु कृषि विश्वविद्यालयों को विशेष भूमिका निभाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि किसान इस देश के अन्नदाता हैं, उनके हित में सभी मिलकर कार्य करें।

राज्यपाल आज यहां राजभवन से कोटा कृषि विश्वविद्यालय के ऑनलाइन चतुर्थ दीक्षांत समारोह और संविधान पार्क के ई-शिलान्यास कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को सशक्त किए जाने हेतु विश्वविद्यालय ऐसे रोजगारोन्मुखी, व्यावसायिक पाठ्यक्रम और कार्यक्रमों को अपने यहां लागू करे जिनसे कृषि के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालीन लाभ मिल सके।

कृषि को नए आयामों पर ले जाने और कृषक वर्ग को आय सुरक्षा प्रदान करने में भी विश्वविद्यालयों को अपना योगदान देने पर जोर देते हुए उन्होंने कोविड के इस दौर में पारम्परिक भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान के अन्तर्गत कृषि विश्वविद्यालयों को इस तरह की वनस्पति, पौष्टिक व औषधिक गुणों से युक्त स्थानीय फसलों पर शोध एवं अनुसंधान करने का भी कहा जिससे राज्य के किसानों को ही नहीं देशभर के लोगों को उसका लाभ मिल सके। उन्होंने ऐसे उत्पादों का पेटेन्ट कराए जाने और उनके आयुर्वेद विज्ञान में उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए भी विश्वविद्यालयों को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता जताई।

मिश्र ने दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के प्राप्त ज्ञान के संस्कार का उत्सव दिन बताया। उन्होंने कहा कि तैत्तिरीय उपनिषद् में शिक्षा समाप्ति पर आचार्य की दीक्षांत शिक्षा का उल्लेख है। इस दिन का विद्यार्थी जीवन में विशेष महत्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को सीखे गए ज्ञान को समाज हित में लगाये जाने का आह्वान किया।


राज्यपाल ने बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ कृषि उत्पादन में त्वरित वृद्धि के साथ वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दुगुनीं करने के केंद्र सरकार के संकल्प को पूर्ण करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, अध्यापकों, और विधार्थियों को आगे आकर कार्य करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कृषि को जीविकोपार्जन से कहीं आगे ले जाकर आकर्षक व्यवसाय में परिवर्तित करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। इसके लिए राजस्थान में उत्पादित सरसों, धनियाँ, बाजरा जैसी फसलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिन फसलों की उत्पादकता कम है, उनके लिए नवाचारों को अपनाते हुए कृषि विश्वविद्यालय कार्य करे।

श्री मिश्र ने कहा कि खेती से जुड़ी परम्पराओं, ज्ञान को कैसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए, इस पर भी निरन्तर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने पुरानें बागों के कायाकल्प, कीट व पोषक तत्व प्रबंधन, कटाई उपरांत प्रबंधन, संरक्षित खेती, बागवानी के महत्वपूर्ण आयामों पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको द्वारा किए जा रहे शोध कार्य किसानों तक पहुंचाने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कोटा विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बून्दी को उसके उत्तम प्रसार कार्य के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि प्रोत्साहन पुरस्कार, विश्वविद्यालय के तीन अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों को उनके उत्कृष्ट प्रसार हेतु राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किये जाने की सराहना भी की।


कुलाधिपति ने कहा कि खेती में फसलों के उत्पादन के साथ खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास कृषि व उद्योगों के मध्य एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता हैं। इस क्षेत्र में विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कृषि उत्पादों में गुणवत्ता एवं मूल्य संर्वधन पर भी विश्वविद्यालयों को आगे आकर पहल करने पर जोर दिया।


जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए श्री मिश्र ने कहा कि ऐसी खेती मृदा स्वास्थ्य तथा जलवायु के लिए भी अत्यन्त प्रभावकारी है। इस सम्बंध में विश्वविद्यालय में पाराशर कृषि शोध पीठ की स्थापना की उन्होंने सराहना की।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की कृषि का बड़ा हिस्सा वर्षा आधारित है। कृषि में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों के अनुसंधान के मुख्य विषय इस आधारित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अब पुराने तौर तरीकों से बहुत आगे निकल कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व रोबोटिक्स तक पहुँच चुकी है। ऐसे दौर में कृषि के आधुनिकीकरण व इसे आकर्षक व्यवसाय बना कर ग्रामीण युवाओं का शहरों की ओर पलायन रोके जाने पर भी विश्वविद्यालय सुनियोजित योजना के तहत कार्य करे।

श्री मिश्र ने विश्वविद्यालयों को अपने कृषि विज्ञान केंद्रों की सहायता से किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझते हुए इस दिशा में आवश्यक अनुसंधान कार्य करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के स्नातक, स्नातकोत्तर युवाओं के लिए अवसरों की देश में कोई कमी नहीं है। पेशेवर रूप से सक्षम और सामाजिक रूप से संवेदनशील होकर युवा भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को गाँवों में ही व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। लोकल को वोकल बनाने की दिशा में ऐसे कदमों से ही भारत आत्म निर्भर बन सकेगा। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों को शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करने पर जोर दिया।

इस अवसर पर कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने 135 शिक्षार्थियों को शैक्षिक उपाधियां प्रदान की। उन्होंने इस मौके पर उत्कृष्ट शिक्षा के लिए 4 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए। उन्होंने विश्वविद्यालय में संविधान पार्क का ई-शिलान्यास और दो पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण किया।
समारोह में दीक्षान्त अतिथि पद्मभूषण डॉ. आर.एस. परोदा ने भारतीय कृषि की समस्याओं और भविष्य की चुनौतियों कें सबंध में कृषि विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए इस दिशा में बेहतरीन कार्य किए जाने पर जोर दिया। कुलपति प्रो. डी.सी. जोशी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियां का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।