किसान आंदोलन : किसान यूनियन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है। किसान यूनियन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। आज दोपहर 3 बजे से किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी। इसमें एक हफ्ते की रणनीति पर चर्चा होगी। इस बीच, सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- कुछ ऐसे लोग हैं जो प्रदर्शन का गलत इस्तेमाल कर किसानों को बहका रहे हैं।

नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले के एक व्यक्ति की फोटो इस आंदोलन में नजर आई। यह व्यक्ति फिलहाल जेल में बंद है। उसका किसानों से सीधे या परोक्ष तौर पर कोई लेना देना नहीं है। दिल्ली में देश विरोधी भाषण देने वालों की तस्वीरें भी प्रदर्शन में देखी गई। ऐसे लोगों की फोटो वहां कैसे पहुंची, मैं समझ नहीं पा रहा हूं। कुछ लोग जरूर हैं जो किसानों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह गलत है।

गडकरी ने कहा- सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है। किसानों को तीनों कृषि कानूनों को समझना चाहिए। सरकार किसानों के लिए समर्पित है। उनके सभी सुझाव मानने को तैयार है। हमारी सरकार में उनके साथ किसी तरह की नाइंसाफी नहीं होगी।इन कानूनों के बारे में बताएंगे और बातचीत से रास्ता निकालेंगे।

उन्होंने कहा कि अगर बातचीत नहीं होगी तो दोनों तरफ गलत बातें पहुंचेंगी, विवाद पैदा होगा और बहस बढ़ेगी। अगर बातचीत हुई तो इस मुद्दे को सुलझाया जा सकेगा। सारी चीजें खत्म हो जाएगी। किसानों को इंसाफ मिलेगी, उन्हें राहत मिलेगी। हम किसानों के हितों के लिए काम कर रहे हैं। फिलहाल देश में 8 लाख करोड़ रु. का क्रूड ऑयल इंपोर्ट होता है। इसके बदले हम 2 लाख करोड़ रु. की एथेनॉल इकोनॉमी बनाना चाहते हैं। मौजूदा समय में यह सिर्फ 20 हजार करोड़ रु. का है। अगर यह 2 लाख करोड़ रु. का हो जाता है तो 1 लाख करोड़ रु. किसानों की जेब में जाएंगे।

गडकरी ने कहा- मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे जी किसानों के आंदोलन से जुड़ेंगे। हमने किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है। यह किसानों का हक है कि वे अपने उत्पादों को मंडी में बेचें, व्यापारियों को बेचें या कहीं और। दरअसल, सोमवार को सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने सरकार से किसानों की मांगों को मानने कहा था। उन्होंने सरकार से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मंजूर करने के लिए चिट्‌ठी लिखी थी। हजारे ने कहा था कि अगर सरकार इन बातों को नहीं मानती है तो वे किसानों के समर्थन में अनशन करेंगे।