
एक नए शोध में पाया गया है कि बचपन की प्रतिकूल परिस्थितियों, विशेष रूप से हिंसा व दुव्र्यवहार से जुड़े अनुभव का असर जीवनपर्यंत रहता है। इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की हानियां शामिल हैं। अब तक एक कठिन बचपन एक युवा या मध्य आयु वयस्क के रूप में कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, लेकिन पहली बार यूसी सैन फ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं ने जीवन के शुरुआती प्रतिकूल अनुभवों को आजीवन स्वास्थ्य परिणामों से जोड़ा है। यह अध्ययन दो अगस्त, 2023 को जर्नल आफ जनरल इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
बचपन में हिंसा के शिकार हुए थे, आज इन समस्याओं से घिरे हैं

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान अमेरिका के 3,400 प्रतिभागियों का विश्लेषण किया, जो 50 से 97 वर्ष की उम्र के थे। शोध में पाया गया कि जो लोग बचपन में हिंसा के शिकार हुए उन्हें बुढ़ापे में चलने-फिरने में 40 प्रतिशत अधिक समस्या हुई और दिनचर्या में 80 प्रतिशत तक अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
इन समस्याओं का करना पड़ सकता है सामना

यूसी सैन फ्रांसिस्को के जर्नल आफ जनरल इंटरनल मेडिसिन की डायरेक्टर व शोध की वरिष्ठ लेखका प्रोफेसर एलिसन जे. हुआंग ने कहा कि बचपन की कठिनाइयों का असर जब हम 60, 70, 80 या इससे अधिक उम्र के होते हैं तो चलने-फिरने, अन्य दैनिक गतिविधियों व याददाश्त की समस्या के रूप में पड़ सकता है। सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अुनसार, अमेरिका के 60 प्रतिशत वयस्क एक या उससे अधिक तरह की बचपन की प्रतिकूल परिस्थितियों का अनुभव करते हैं।
यह भी पढ़ें : भारतीय पर्यटकों के लिए सिंगापुर बोर्ड की खास पेशकश