वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग्रेजी के प्रति लगाव ने हिंदी को अधिक प्रचारित प्रसारित करने को मजबूर किया है : अनुभा जैन

हिंदी की दशा और दिशा पर मंथन करती अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

जयपुर। हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान द्वारा हिंदी की वर्तमान दशा व दिशा विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन वर्चुअल प्लेटफार्म के माध्यम से किया गया। संगोष्ठी में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से प्रतिभागियों ने हिंदी की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्थिति पर चर्चा की। अपने उदबोधन में प्रो. नंद किशोर पांडे, पूर्व निदेशक, केन्द्रिय हिंदी संस्थान, आगरा, ने कहा कि राष्टभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने में हम हिंदी भाषियों की ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। नई शिक्षा नीति से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा।

प्रो.केशरीलाल वर्मा, कुलपति पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,रायपुर, छत्तीसगढ ने अपने विचार व्यक्त करते हुये प्राचीन समय से महात्मा गांधी के सहयोग को याद किया। इसी कड़ी में प्रो.अवनीश कुमार, अध्यक्ष, वैज्ञानिक शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली, भारत सरकार ने कहा कि हिंदी जनमानस की भाषा है और भारत सरकार द्वारा सराहनीय कार्य हिंदी के उत्थान की दिशा में किये जा रहे हैं। डा. राकेश शर्मा, उपनिदेशक, केन्द्रिय हिंदी निदेशालय, षिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि हिंदी निदेशालय ने पूरे देश में हिंदी के लेखकों को आगे बढ़ाने हेतु कई योजनायें भारत सरकार की ओर से बनायी गयी हैं।

सहज प्रवाह और भाषा के सार्थक क्रम को व्यक्ति अपने जीवन में उतारता है तो समाज में वह भाषा अभिव्यिक्ति का आधार बन जाती है। इसी कडी में वरिष्ठ पत्रकार अनुभा जैन ने कहा कि हिंदी भाषा ही नहीं हमारी पहचान भी है। अनुभा ने आगे कहा कि हिंदी भाषा है मुंशी प्रेमचंद, दिनकर, जयशंकर प्रसाद, देवकी नंदन खत्री और कृष्णा सोबती जैसे कई महान रचनाकारों साहित्यकारों कि जिन्होने बडे गर्व से भाषा का प्रयोग सुधारक नीतियां लाने में किया ताकि हिन्दी को एक उच्च स्तर मिल सके।

विश्व में हांलाकि तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी है। पर आज अंग्रेजी की इतनी लोकप्रियता ने हमें हिंदी को सामान्य से अधिक प्रसारित प्रचारित करने को मजबूर कर दिया है। हिंदी पत्रकारिता के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर बात करते हुये अनुभा ने कहा कि आज की पत्रकारिता में हिंदी के साथ अंग्रेजी के शब्दों को मिलाकर हिंगलिश जैसी नयी भाषा व शब्दों का प्रयोग आज के पत्रकार करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। जबकि पहले के समय में हिंदी के समाचार पत्रों में एक भी अंग्रेजी का शब्द प्रयोग करना हिंदी भाषा की अवमानना मानी जाता थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय नवी मुंबई के कुलाधिपति डा. केषव बढाया ने कहा कि हिंदी हमारी आन-बान और शान है। पूरे विष्व में हिंदी को बोलने समझने व हिंदी के प्रति आत्मीयता रखने वाले लोगों की बडी तादाद है। भाषा व पुस्तकालय विभाग राज.सरकार की पूर्व उपनिदेशक डा. ममता शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर से जुडने से कार्यक्रम का स्वरूप विस्तृत हो गया है। हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डा. अखिल शुक्ला ने संस्थान की जानकारी देते हुये कहा कि संस्थान का प्रमुख उददेश्य हिंदी और अहिंदी क्षेत्रों में हिंदी का प्रचार प्रसार करना है। साथ ही उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे विष्व में हिंदी की पताका फहरा रखी है।

इसके अलावा पत्रकार व संपर्क संस्थाान अध्यक्ष अनिल लढढा, लंदन से मनीष रछोया, टोरंटो कनाडा से गार्गी शुक्ला पाठक, अमरीका से कीर्ति रछोया, बहरीन से रश्मि तिवारी ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र जैन, संपर्क संस्थान व लेखिका संस्थान से लता सुरेष, ज्ञानवती सक्सेना, नीलम कालरा, मीनाक्षी मेनन सहित कई साहित्यकार उपस्थित थे।