जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाड़मेर के पचपदरा में चल रही रिफाइनरी कम पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स परियोजना की प्रगति को लेकर कड़ी आलोचना की है। गहलोत ने इस परियोजना के प्रति राज्य और केंद्र सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए इसे राजस्थान के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में चित्रित किया है, जिसे लुभावने वादों के बावजूद सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है।
गहलोत ने खुलासा किया कि इस परियोजना की नींव साल 2013 में रखी गई थी, जब उनकी सरकार ने UPA सरकार से विशेष आग्रह कर पचपदरा में रिफाइनरी की स्वीकृति प्राप्त की थी। उनके अनुसार, जब उनकी सरकार सत्ता में थी, तब परियोजना का काम शुरू कर दिया गया था। हालांकि, सत्ता परिवर्तन के बाद, परियोजना का काम पांच वर्षों तक ठप हो गया। इस दौरान, MoU में किए गए बदलावों ने राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल दिया। साल 2018 में उनकी सरकार के पुनर्निर्वाचन के बाद, परियोजना को फिर से गति दी गई, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध ने आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में बाधा डाली।
गहलोत ने 2 जून 2023 को रिफाइनरी का दौरा किया था, जहां HPCL के अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि 31 दिसंबर 2024 तक रिफाइनरी से कमर्शियल उत्पादन शुरू हो जाएगा। फिर भी, वर्तमान में, जब राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, रिफाइनरी परियोजना का केवल 79% काम पूरा होने की खबरें आई हैं। गहलोत ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और राज्य सरकार को केंद्र सरकार और HPCL के साथ समन्वय स्थापित कर परियोजना के कार्य को समय पर पूरा करने का आग्रह किया है। गहलोत ने यह भी कहा कि भाजपा की वर्तमान सरकार ने चुनावी वादों और परियोजना की प्राथमिकता के बावजूद, विकास कार्य को सही दिशा में नहीं बढ़ाया है।
इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा की सरकारें केवल चुनावी लाभ के लिए वादे करती हैं, जबकि वास्तविकता में उनके कार्यो की गति बेहद सुस्त रहती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे की गहन जांच और शीघ्र समाधान की मांग की है, ताकि राजस्थान की विकास यात्रा में यह महत्वपूर्ण परियोजना समय पर पूरी हो सके।