एफपीआई ने इस महीने अब तक भारत के पूंजी बाजार में 3,944 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेशक किया

1-18 सितंबर तक एफपीआई ने 1,766 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की

नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारत के पूंजी बाजार (डेट और शेयर बाजार) में 3,944 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेशक किया। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने 1 से 18 सितंबर तक देश के शेयर बाजार में 1,766 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया। इस दौरान उन्होंने डेट सेगमेंट में भी 2,178 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया।

सितंबर में विदेशी निवेशकों का रुझान डेट सेगमेंट में बना हुआ है। इससे पहले 1-11 सितंबर के दौरान एफपीआई ने डेट बाजार में 1,472 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की थी। उस समय तक शेयर बाजार में उन्होंने 3,510 करोड़ रुपए की शुद्ध बिक्री की थी।

पिछले तीन महीने से भारत में निवेशक बने हुए हैं एफपीआई

सितंबर से पहले लगातार तीन महीने से एफपीआई भारत में शुद्ध निवेशक बने हुए हैं। उन्होंने भारतीय पूंजी बाजार में अगस्त में 46,532 करोड़ रुपए, जुलाई में 3,301 करोड़ रुपए और जून में 24,053 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया था। उससे भी पहले एफपीआई ने मार्च में 1,18,203 करोड़ रुपए, अप्रैल में 14,859 करोड़ रुपए और मई में 7,356 करोड़ रुपए निकाल लिए थे।

विदेशी बाजार की नकदी भारत में आ रही है

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक बाजार में नकदी काफी बढ़ गई है। यह भारतीय बाजार में भी आ रही है। एफटीएसई के ग्लोबल इक्विटी इंडेक्स एशिया पैसिफिक एक्स जापान एंड चाइना में शेयरों के बदले जाने का भी विदेशी निवेश बढऩे में योगदान रहा होगा। इस इंडेक्स में कुछ नए भारतीय शेयर जोड़े गए हैं और कुछ का वेटेज बड़ा है।

अमेरिका में बांड यील्ड घटने के कारण भारतीय डेट में बड़ा है विदेशी निवेश

डेट सेगमेंट में ज्यादा निवेश होने के बारे में श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका को फेडरल रिजर्व आक्रामक तरीके से बांड खरीद रहा है। इसके कारण वहां यील्ड घट गया है। इसके कारण भी विदेशी निवेशक भारतीय डेट बाजार में निवेश कर रहे होंगे। क्योंकि भारतीय डेट बाजार का रिटर्न अभी आकर्षक स्तर पर बना हुआ है।

अन्य उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक

कोटक सिक्युरिटीज के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख और एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रुस्मिक ओझा ने कहा कि अन्य उभरते बाजारों से एफपीआई पैसे निकाल रहे हैं, लेकिन भारत में पैसे लगा रहे हैं। एफपीआई अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में भी निवेश नहीं कर रहे हैं। अन्य उभरते बाजारों का वैल्यूएशन काफी ऊपर चढ़ गया है, जबकि भारत का वैल्यूएशन अब भी आकर्षक है।

अमेरिकी ब्याज दर शून्य के आस-पास रहने के कारण भी भारत में निवेश आकर्षक

ग्रो के सह-संस्थापक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा कि अमेरिका के फेड ने संकेत दिया है कि अगले कुछ साल तक वह ब्याज दर को शून्य के आस-पास बनाए रखेगा। इसके अलावा वह नोट भी छाप रहा है। इसके कारण अमेरिका और अन्य विकसित बाजारों में पैसे लगाने में निवेशकों को फायदा नहीं दिख रहा है। भारत जैसे बाजारों में निवेश करने में उन्हें ज्यादा फायदा दिख रहा है।