
नई दिल्ली। फ्रांस ने भारत को पांच और राफेल जंगी विमान सौंप दिए हैं। माना जा रहा है कि अक्तूबर में दूसरे बैच के ये पांचों राफेल विमान भारत पहुंचेंगे। इन्हें पश्चिम बंगाल में कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। जो चीन से लगती पूर्वी सीमा की रखवाली करेंगे।
राफेल के पहले बैच में शामिल पांच विमानों को 10 सितंबर को एक औपचारिक कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। राफेल की तैनाती अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर की गई है। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है और अब इसे हिन्दुस्तान भी इस्तेमाल करेगा। 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे।
गोल्डन एरो स्क्वाड्रन को राफेल की कमान
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभाल रही है।

वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।
सरहद पार किए बिना दुश्मन को लगा देगा ठिकाने
राफेल एयरक्राफ्ट सरहद पार किए बिना दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है। बिना एयर स्पेस बॉर्डर क्रॉस किए राफेल पाकिस्तान और चीन के भीतर 600 किलोमीटर तक के टारगेट को पूरी तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
यानी अंबाला से 45 मिनट में बॉर्डर पर राफेल की तैनाती और फिर वहीं से टारगेट लोकेट कर पाकिस्तान और चीन में भारी तबाही का इंतजाम इंडियन एयरफोर्स ने कर लिया है। एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मारक क्षमता में सक्षम राफेल की रेंज (एयरबेस से विमान की उड़ान के बाद ऑपरेशन खत्म कर वापस एयरबेस तक लौटने की सीमा) वैसे तो 3700 किलोमीटर बताई जा रही है।
चूंकि इस विमान को हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है। इसलिए इसकी रेंज निर्धारित रेंज से कहीं ज्यादा बढ़ाई जा सकती है। यानी जरूरत पड़ी तो राफेल दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर 600 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक ताबड़तोड़ एयर स्ट्राइक कर सकता है।
100 किमी के दायरे में 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा
राफेल की एक बड़ी खासियत यह भी है कि एक बार एयरबेस से उड़ान भरने के बाद 100 किलोमीटर के दायरे में राफेल 40 टारगेट एक साथ पकड़ेगा। इसके लिए विमान में मल्टी डायरेक्शनल रडार फिट किया गया है। यानी 100 किलोमीटर पहले से ही राफेल के पायलट को मालूम चल जाएगा कि इस दायरे में कोई ऐसा टारगेट है, जिससे विमान को खतरा हो सकता है।
यह टारगेट दुश्मन के विमान भी हो सकते हैं। टू सीटर राफेल का पहला पायलट दुश्मनों के टारगेट को लोकेट करेगा। दूसरा पायलट लोकेट किए गए टारगेट का सिग्नल मिलने के बाद उसे बर्बाद करने के लिए राफेल में लगे हथियारों को ऑपरेट करेगा।
हवा में ही दुश्मन के विमान का राडार कर सकता है जाम
राफेल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फाइटर जेट दुश्मन के विमान के राडार को हवा में ही जाम कर सकता है। ऐसा करने से यह विमान दुश्मन के विमान को न केवल गच्चा देने में सक्षम है, बल्कि दुश्मन के विमान को आसानी से हिट भी कर सकता है।
राफेल विमान के कॉकपिट में ऐसा सिस्टम डिजाइन किया गया है, जिससे युद्ध के दौरान पायलट का पूरा फोकस फ्लाइंग के साथ-साथ दुश्मन के टारगेट को हिट करने में एकाग्रता के साथ बना रहे। इसके लिए स्मार्ट टेबलेट बेस मिशन प्लानिंग एंड एनालिसिस सिस्टम को अपनाया गया है।