
सनातन धर्म में कार्तिक का महीना बेहद पावन माना जाता है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां तुलसी को समर्पित है। इस महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाता है। इसके लिए कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा की जाती है। इस महीने में गंगा स्नान का विधान है। साथ ही दीपदान किया जाता है। इस शुभ अवसर पर रोजाना गंगा नदी के तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। धार्मिक मत है कि कार्तिक महीने में गंगा स्नान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कार्तिक महीने में क्यों गंगा स्नान किया जाता है और इसका महत्व क्या है? गंगा स्नान का कार्तिक मास में है विशेष महत्व, जाने इसके बारे में
क्यों खास है कार्तिक मास?

सनातन शास्त्रों में निहित है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं। चार महीने लगातार विश्राम करने के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जागृत होते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं। चातुर्मास के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के जागृत होने के बाद से शुभ कार्य किये जाते हैं। इस महीने में धनतेरस, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज और छठ पूजा समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इसके लिए कार्तिक माह में गंगा स्नान किया जाता है। साथ ही दीपदान किया जाता है।
कब करें स्नान?
धर्म जानकारों की मानें तो कार्तिक माह के दौरान रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान-ध्यान करें। अगर सुविधा न हो, तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अघ्र्य दें। महिलाएं रोजाना (रविवार को छोडक़र) स्नान-ध्यान के बाद तुलसी को जल दें। वहीं, संध्याकाल में तुलसी माता की आरती जरूर करें। इसके अलावा, तुलसी से जुड़े उपाय अवश्य करें।
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