
कानपुर। यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि विकास दुबे गाड़ी पलट जाने के बाद पुलिसकर्मी की पिस्तौल लेकर भागा था। उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया तो वो नहीं माना जिसके बाद आत्मरक्षा में उस पर फायरिंग की गई जिसमें वह घायल हो गया और अस्पताल में उसकी मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि इस घटना में चार पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मामले में 21 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमें से तीन गिरफ्तार किए गए हैं। छह मारे जा चुके हैं। सात जेल जा चुके हैं।
बता दें कि एनकाउंटर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विकास दुबे के भाजपा नेताओं के साथ संबंधों का खुलासा न हो जाए इसलिए उसे मार दिया गया।
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उन्होंने कहा कि जो पर्ची सपा की सदस्यता की दिखाई जा रही है हो सकता है कि वो कानपुर एनकाउंटर के बाद बनाई गई हो क्योंकि भाजपा के लोग साजिश करते हैं इसलिए जरूरी है कि विकास दुबे और उससे जुड़े लोगों के मोबाइल की सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) निकलवाई जाए जिससे कि पता चल जाए कि उससे किन लोगों के संबंध थे।
अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे तो दुख है कि विकास दुबे की मां से भी यह कहलवा दिया गया कि वो सपा में था और सभी जानते हैं कि भाजपा के लोग षडयंत्र करने में माहिर हैं। उन्होंने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उस सीट पर सपा की उम्मीदवार एक अन्य महिला थीं। उन्होंने कहा कि अगर संभव है तो पांच साल की सीडीआर जनता के सामने रख दी जाए तो पता चल जाएगा कि विकास दुबे को कौन संरक्षण दे रहा था?
बता दें कि विकास दुबे के एनकाउंटर पर अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है। अखिलेश यादव ने सपा सरकार के दौरान विकास दुबे को सजा न देने पर कहा कि 2001 में भाजपा सरकार के दौरान थाने के अंदर घुसकर एक राज्यमंत्री की हत्या कर दी गई थी अगर तब कार्रवाई हो जाती तो आज ये दिन न देखना पड़ता।