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पीड़ितों से चर्चा को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया न्योता, केंद्रीय मंत्री ने किया पलटवार
जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव घोटाले को लेकर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सुझाव दिया कि वे पीड़ितों की संघर्ष समिति के साथ बैठकर चर्चा करें। उन्होंने कहा कि यदि शेखावत निर्दोष हैं, जैसा वे दावा करते हैं, तो यह खुशी की बात होगी और इस पर खुली चर्चा होनी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि शेखावत देश के कैबिनेट मंत्री हैं और उन्हें इस जिम्मेदारी को निभाते हुए संजीवनी घोटाले से प्रभावित लोगों से संवाद स्थापित करना चाहिए। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी मंशा किसी को टारगेट करने की नहीं है, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने की है। गहलोत ने शेखावत द्वारा दायर मानहानि केस पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अब तक इस केस में करीब 15 पेशियां हो चुकी हैं, इसलिए शेखावत को इसे वापस लेकर पीड़ितों के लिए काम करना चाहिए।
क्या है संजीवनी घोटाला?
2008 में बाड़मेर से शुरू हुई इस कोऑपरेटिव सोसायटी ने डेढ़ लाख से ज्यादा निवेशकों से लगभग 950 करोड़ रुपए की ठगी की। निवेशकों को उच्च रिटर्न, विदेश यात्राएं और एजेंट कमीशन का लालच दिया गया। जांच में सामने आया कि अधिकतर ऋण खाते फर्जी नामों से बनाए गए थे। प्रमुख आरोपी विक्रम सिंह समेत कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन निवेशकों की राशि अब भी अटकी हुई है।
शेखावत पर क्यों उठे सवाल?
घोटाले के मास्टरमाइंड विक्रम सिंह से नजदीकी, और कुछ कंपनियों में परिवार की कथित हिस्सेदारी को लेकर शेखावत पर उंगलियां उठीं। प्रारंभिक SOG रिपोर्ट में शेखावत का नाम था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद SOG ने हाईकोर्ट में यू-टर्न लेते हुए उन्हें आरोपी नहीं माना। हाईकोर्ट ने इसी आधार पर उन्हें क्लीन चिट दी, पर FIR रद्द नहीं हुई। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आगे की कार्रवाई की अनुमति दी है। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत का कहना है कि मुख्यमंत्री रहते उन्हें जो दस्तावेज मिले, उनमें शेखावत के परिवार का नाम दर्ज था, इसलिए उन्होंने बयान दिए। शेखावत ने इसे राजनीतिक बदले की भावना करार देते हुए दिल्ली कोर्ट में मानहानि केस दर्ज कराया है, जिसकी 15 से अधिक पेशियां हो चुकी हैं।
गहलोत की नई मांग
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में SIT गठन की मांग की है, ताकि जांच की निष्पक्षता पर उठे सवालों का जवाब मिल सके।