गिव अप अभियान: 23 लाख लोगों ने स्वेच्छा से छोड़ी खाद्य सुरक्षा, 51 लाख नए लाभार्थी जोड़े

sumit godara
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90 प्रतिशत से अधिक लोग पूरी तरह पात्र: सुमित गोदारा

जयपुर। राजस्थान राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे ‘गिव अप अभियान’के तहत अब तक 23 लाख अपात्र लाभार्थियों ने स्वेच्छा से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से अपना नाम हटाया है। राजधानी जयपुर में ही 2 लाख लोगों ने योजना से नाम हटाया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने मंत्रालय भवन में एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में एनएफएसए के अंतर्गत लगभग 4.46 करोड़ लाभार्थियों की सीलिंग है। यह संख्या पूरी हो जाने के कारण नए पात्र लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा था।

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इसी कारण अपात्र लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा सूची से हटाने एवं पात्र वंचितों को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने के लिए गिव अप अभियान गत वर्ष 1 नवंबर को शुरू किया गया। गिव अप अभियान के अंतर्गत 23 लाख लोगों ने खुद ही खाद्य सुरक्षा छोड़ी है। तब से लेकर अब तक 51 लाख नए लाभार्थी योजना में जोड़े जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक लोग पूरी तरह पात्र हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों का दौरा कर गिव अप अभियान की गहन समीक्षा की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जिन 27 लाख लोगों ने ई-केवाईसी नहीं करवाई, वे भी योजना से स्वत: बाहर हो गए। गोदारा ने बताया कि पात्र लोगों को योजना से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने 26 जनवरी से खाद्य सुरक्षा पोर्टल को फिर से शुरू किया था।

31 अगस्त तक गिव अप की डेडलाइन:

मंत्री गोदारा ने कहा कि गिव अप करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त तय की गई है। इसके बाद यदि कोई अपात्र व्यक्ति योजना से बाहर नहीं होता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उससे जुर्माना वसूला जाएगा।

भर्ती की विज्ञाप्तियां जल्द:

मंत्री ने यह भी बताया कि उन्होंने कहा कि 2,446 दुकानों की रिक्तियों को भरने के लिए जल्द ही विज्ञप्ति जारी की जाएगी और तीन महीने में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। राज्य में 27,000 उचित मूल्य की दुकानों के डीलरों के मानदेय में वृद्धि की गई है और मार्च माह तक का भुगतान कर दिया गया है।

उपभोक्ता विभाग द्वारा लागू होगा जीएटीसी:

गोदारा ने कहा कि उपभोक्ता विभाग द्वारा जल्द ही उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के तर्ज पर जीएटीसी लागू किया जाएगा। इससे माप एवं तौल की प्रक्रिया में उपभोक्ता के साथ न्याय हो सकेगा और राजस्व में भी वृद्धि होगी।