
9 जजों की संविधान पीठ का ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली एजेंसी । सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाले प्रत्येक निजी संपत्ति संसाधन को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत भौतिक संसाधन नहीं कहा जा सकता है।
पीठ द्वारा 1 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद आज सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी व्यक्ति के प्रत्येक निजी संसाधन को समुदाय के भौतिक संसाधन के हिस्से के रूप में रखना दूर की कौड़ी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उन निवेशकों को भी डरा देगा जो उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के स्तर से सावधान होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में साफ कर दिया है कि सरकार सभी निजी संपत्तियों की अधिग्रहण नहीं कर सकती। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया। यह संदर्भ 1978 में कर्नाटक राज्य और अन्य आदि बनाम रंगनाथ रेड्डी और अन्य मामले में दिए गए फैसले में न्यायाधीशों द्वारा दिए गए दो विचारों के संदर्भ में सामने आया। मामला सड़क परिवहन सेवाओं के राष्ट्रीयकरण से संबंधित था।
न्यायमूर्ति वी आर कृष्णा अय्यर की एक राय यह थी कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में प्राकृतिक और मानव निर्मित, सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाले दोनों संसाधन शामिल होंगे। हालाँकि, न्यायमूर्ति एन एल उंटवालिया द्वारा लिखे गए दूसरे फैसले में कहा गया है कि अधिकांश न्यायाधीश न्यायमूर्ति अय्यर द्वारा अनुच्छेद 39 (बी) के संबंध में अपनाए गए दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं।