
ये कैसा गौ प्रेम : जिस गौ तस्कर पर 7 मुकदमें, उसके खिलाफ कोर्ट में वकील भी नहीं भेजा सरकार ने
सुप्रीम कोर्ट ने गौ तस्कर को जमानत दी- फैसले में लिखा राजस्थान सरकार की तरफ से काउंसल पेश नहीं हुए इसलिए देनी पड़ी जमानत- जबकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार के 4-4 एएजी लगा रखे हैं
यहा पढ़े कोर्ट का आदेश - Court Order
जयपुर। गौ तस्करों को सजा नहीं – बृज भूमि से आने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के गौ प्रेम पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जिस गौतस्कर के खिलाफ राजस्थान में 7 मुकदमें दर्ज हैं उसकी जमानत का विरोध करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक वकील तक नहीं भेजा। जबकि राजस्थान के 4 एएजी सुप्रीम कोर्ट में तैनात हैं।
जहाँ एक तरफ गायों के नाम पर राजस्थान में सियासत चमकाई जा रही है। गाय को माता बताकर उसके नाम के आगे आवारा शब्द का इस्तेमाल नहीं करने जैसे आदेश जारी करवाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ गौ तस्करों की जमानत का विरोध करने के लिये सरकार कोर्ट में वकील तक पेश नहीं कर रही।

गौ तस्करों को सजा नहीं
मामला करौली जिले के एक गौ तस्कर नाजिम खान का है। राजस्थान पुलिस ने 2021 में नजीम और उसके सहयोगियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट तक नजीम की जमानत नहीं हुई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार की तरफ से नजीम की जमानत याचिका के खिलाफ वकालत नामा भी नहीं लगाया गया। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने नजीम को जमानत दे दी। साथ ही अपने फैसले में इसका जिक्र भी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया जा चुका था उसके बावजूद राजस्थान सरकार की तरफ से किसी ने वकालत नामा नहीं भरा, एवं कोई प्रस्तुत भी नहीं हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने कहा स्टेट काउंसिल के नहीं होने की वजह से आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं होने के कारण आरोपियों को जमानत दी जा रही है।

विधि मंत्री बोले मुझे मामले की जानकारी नहीं
इस मामले में विधि मंत्री जोगाराम पटेल से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। मैं ऑर्डर देखकर ही आगे कुछ बोल पाउंगा-
यह है मामला
गोवंश तस्करी के मामले में 2021 में करौली से नाजिम खान एवं सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था आरोप था कि वह 26 गो वंशों को तस्करी कर उत्तर प्रदेश ले जाने का प्रयास कर रहे थे, आरोपी पर धारा 3, 5 ,8 ,9,10 मैं मुकदमा दर्ज किया गया था।
आरोपियों द्वारा सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी दी गई थी जिसको कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया , इसके बाद आरोपियों की जमानत अर्जी को हाई कोर्ट द्वारा भी खारिज कर दिया गया था हाई कोर्ट द्वारा कहा गया था कि आरोपी का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड होने के कारण जमानत नहीं दी जा सकती है।
उसके बाद में यह मामला सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां पर राजस्थान सरकार के वकील नहीं पेश होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को जमानत दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया जा चुका था उसके बावजूद राजस्थान सरकार की तरफ से किसी ने वकालत नामा नहीं भरा, एवं कोई प्रस्तुत भी नहीं हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने कहा स्टेट काउंसिल के नहीं होने की वजह से आरोपियों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं होने के कारण आरोपियों को जमानत दी जा रही है।