
-
1 करोड़ पाण्डुलिपियों को रजिस्टर्ड करने का लक्ष्य, 50 लाख पाण्डुलिपियों के रजिस्ट्रेशन का काम पूरा
-
विभिन्न भाषाओं में भारत का हजारों साल का संचित ज्ञान पब्लिक डोमेन में रहेगा उपलब्ध
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि ज्ञान भारतम आने वाले समय में दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटिलाइजेशन और पाण्डुलिपियों के संरक्षण का कार्यक्रम बनेगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन के अंतर्गत सरकार का लक्ष्य 1 करोड़ से पाण्डुलिपियों को रजिस्टर्ड करना है, इसमें से लगभग 50 लाख पाण्डुलिपियों को रजिस्टर्ड कर लिया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का हजारों साल का संचित ज्ञान विभिन्न भाषाओं में तारपत्रों, भोजपत्रों के साथ ही पेड़ों के छाल, कपड़ों और हस्तलिखित रूप से कागज पर उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि यह पौराणिक धरोहर सरकार, विश्वविद्यालयों, कुछ प्राइवेट लोगों के साथ ही मंदिर और मठों के पास भी है। उन्होंने कहा कि इस संपूर्ण धरोहर को डिजिटिलाइज कर पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे शोधकर्ताओं, छात्रों के साथ ही अन्य लोग उसका उपयोग कर सकें। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से ज्ञान भारतम के माध्यम से पूरी दुनिया भारत के इस पौराणिक ज्ञान से परिचित होगी।