
नई दिल्ली- महिन्द्रा युनिवर्सिटी ने भारत की ऐतिहासिक धरोहर की आधारशिला कहलाने वाली सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें उन प्रख्यात विद्वानों और विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे जिन्होंने इस सभ्यता के ऐतिहासिक, पुरातात्विक और भाषाई महत्व को खंगाला है।
इस संगोष्ठी का आयोजन, महिन्द्रा युनिवर्सिटी की रिसर्च टीम की अंतरक्षेत्रीय परियोजना के तहत किया गया। यह टीम सिंधु घाटी लिपि के गूढ़ अक्षरों को समझने पर काम कर रही है। इस परियोजना का नेतृत्व मीडिया एवं संचार, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान, भाषा विज्ञान, संज्ञानात्मक विज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इतिहास के क्षेत्रों में विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है।

इस अंतरक्षेत्रीय संगोष्ठी में 5,000 वर्षों से अधिक पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। यहां प्रदर्शित एक लाख वर्ष से अधिक पुराने अमूल्य मानव निर्मित पत्थर के औजार आकर्षण का केंद्र रहे। यह महत्वपूर्ण खोज, प्रारंभिक मानव बस्तियों की प्रौद्योगिकीय उन्नति की अनूठी झलकियां पेश करती है। सिंधु घाटी सभ्यता की दुर्लभ वस्तुएं भी यहां प्रदर्शित की गईं जिससे लोगों को हमारी समृद्ध विरासत को अधिक समझने में मदद मिली।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अधीक्षण पुरातत्वविद् डाक्टर स्मिता एस. कुमार ने अपने मुख्य संबोधन में हड़प्पा सभ्यता के समुद्री नेटवर्क और इसके आर्थिक एंव सांस्कृति प्रक्षेप पथ को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की।
उन्होंने कहा, “हड़प्पा की विरासत का दूरगामी आर्थिक, सांस्कृति, भाषाई और तकनीकी प्रभाव रहा है। इसने ना केवल दुनिया के आर्थिक परिदृश्य को आकार दिया, बल्कि अंतर सांस्कृतिक संपर्कों को भी बढ़ावा दिया जिससे इन शताब्दियों में वैश्विक व्यापार प्रणालियों के लिए नीव रखने में मदद मिली।”
इस संगोष्ठी में युनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के पुरातत्वविद और मानद प्रोफेसर केपी राव, युनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद में इतिहास विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुचंद्र घोष और आईआईटी हैदराबाद की एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर राधिका ममीदी ने अपनी अंतर्दृष्टि से दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन महिन्द्रा युनिवर्सिटी के कुलपति डाक्टर यजुलु मेदुरी ने किया। मेदुरी ने कहा, “यह संगोष्ठी अंतरक्षेत्रीय अनुसंधान को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में छात्रवृत्ति देने की महिन्द्रा युनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता रेखांकित करती है। विविध क्षेत्रों से विशेषज्ञों को साथ लाकर हमारा लक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में समझ बढ़ाना और आगे अनुसंधान परियोजना का मार्गदर्शन करना है।”
इस टीम में स्कूल ऑफ डिजिटल मीडिया एंड कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर राहुल दास, इकोल सेंट्रल स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर (भाषा विज्ञान) डाक्टर श्रीदेवी पोलपक्कड़, स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर (इतिहास) डाक्टर परोमिता दास गुप्ता, इकोल सेंट्रल स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में संज्ञानात्मक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डाक्टर सुंदर बुक्या और इकोल सेंट्रल स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर (एआई) डाक्टर निधि गोयल शामिल रहीं। ये सभी उदार दृष्टिकोण से इस परियोजना में अपनी विशेषज्ञता उपलब्ध करा रहे हैं।