एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या होना अच्छा संकेत नहीं, ऐसे करें कंट्रोल

एंग्जायटी डिसऑर्डर
एंग्जायटी डिसऑर्डर

किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक दबाव को झेलने की क्षमता सभी की अलग-अलग होती है। कुछ लोग जहां छोटी सी खरोंच पर भी कराह उठते हैं, तो वहीं कई कठिन से कठिन परिस्थितियों को शांत रहते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार जेनरलाइज्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर एक प्रकार की बहुत ज्यादा चिंता और तनाव की स्थिति होती है, जो व्यक्ति अपनी आम दिनचर्या के दौरान महसूस करता है और ऐसा लगभग रोजाना या अधिकतर दिन महसूस होता है।

यह एहसास जब 6 महीने या उससे ज्यादा समय के लिए जारी रहे, तो यह एक प्रकार के एंग्जायटी डिसऑर्डर का संकेत होता है। रिसर्च के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं को एंग्जायटी डिसऑर्डर होने की संभावना ज्यादा होती है। जब एक महिला अपनी प्यूबर्टी की उम्र तक जाती है, तब से लेकर 50 साल की उम्र तक महिलाओं में ज्यादा एंग्जायटी देखने को मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं क्यों महिलाओं में ज्यादा एंग्जायटी डिसऑर्डर देखने को मिलता है।

इन वजहों से महिलाओं को ज्यादा होती एंग्जायटी

एंग्जायटी डिसऑर्डर
एंग्जायटी डिसऑर्डर

एक पुरुष और एक महिला की ब्रेन केमिस्ट्री में अंतर होता है। इनके हार्मोनल बदलाव भी अलग होते हैं। एक महिला जब अपने रिप्रोडक्टिव स्टेज तक आती है, तो उसके अंदर कई तरह के हार्मोनल बदलाव और असंतुलन देखने को मिलते हैं, जिनसे एंग्जायटी का एहसास होता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में असंतुलन होने से ओसीडी की संभावना बढ़ जाती है। किसी तनाव से निपटने के तरीके को कोपिंग मैकेनिज्म कहते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के कोपिंग मैकेनिज्म अलग होते हैं। पुरुष समाधान की तरफ ज्यादा फोकस करते हैं और महिलाएं समस्या से संबंधित बातें सोच कर उनसे कोप करने की कोशिश करती हैं, जिससे उनका फोकस समाधान पर नहीं होता और उन्हें तनाव हो जाता है, जिससे एंग्जायटी बढ़ती है।
महिलाओं पर जिम्मेदारियों के ज्यादा बोझ के साथ एब्यूज और जजमेंट का भी प्रेशर होता है। ज्यादातर महिलाएं ऐसी स्थिति में रिश्ते बचाने के डर से एब्यूज को बर्दाश्त करती हैं और अंदर ही अंदर घुट कर एंग्जायटी की शिकार होती रहती हैं।

ऐसे करें एंग्जायटी को मैनेज

एंग्जायटी डिसऑर्डर
एंग्जायटी डिसऑर्डर

एंग्जायटी से निपटने के लिए महिलाओं को रिलैक्सेशन तकनीक से माइंडफुल प्रैक्टिस करनी चाहिए, जैसे योग और ध्यान। इनके साथ ही लेट गो की तर्ज पर हर तनाव वाली किसी बात या हालात को यूं ही जाने देना चाहिए और अपनी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। जजमेंट के डर से खुद को बाहर निकालना चाहिए, क्योंकि सही-गलत हर स्थिति में दुनिया जज करती है। आखिर में अगर किसी भी स्थिति में स्वास्थ्य लाभ न हो तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

यह भी पढ़ें : मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने जीता कांस्य पदक