शरीर का ज्यादा तापमान से पड़ सकता है प्रजनन पर असर

अधिक तापमान में रहने के नुकसान
अधिक तापमान में रहने के नुकसान

देशभर के अधिकतर राज्य इन दिनों भीषण गर्मी-लू की चपेट में हैं। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में तापमान लगातार 38-40 डिग्री के बीच बना हुआ है। तेज गर्मी और बढ़ते तापमान से सेहत पर कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है जिसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि तेज गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन से लेकर ब्लड प्रेशर लो होने, डायबिटीज रोगियों की जटिलताओं के बढऩे का खतरा हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि बढ़ते तापमान का प्रजनन स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अत्यधिक तापमान का संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। शोध से पता चलता है अत्यधिक गर्मी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। जो महिलाएं अधिक गर्म वातावरण के संपर्क में रहती है उनमें मासिक धर्म में अनियमितता, प्रजनन क्षमता में कमी और एंडोमेट्रियोसिस जैसी समस्याओं के शिकार होने का खतरा हो सकता है। कुछ रिपोट्र्स बताते हैं कि गर्भवती के लिए भी इस तरह का तापमान स्वास्थ्य संबंधी जटितलाओं का कारण बन सकता है।

पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर

अधिक तापमान में रहने के नुकसान
अधिक तापमान में रहने के नुकसान

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन में लेखकों बताया, हीटवेव पुरुषों की प्रजनन क्षमता और शुक्राणु की कार्यशीलता को क्षति पहुंचा सकती है। इंग्लैंड के नॉर्विच में ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी के पारिस्थितिकीविद और जीवविज्ञानियों ने पाया कि बताया कि तापमान के अधिक संपर्क से नपुंसकता की समस्या बढऩे का खतरा हो सकता है।

डीएनए क्षति का हो सकता है खतरा

अधिक तापमान में रहने के नुकसान
अधिक तापमान में रहने के नुकसान

अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया बढ़े हुए तापमान का शुक्राणुओं के उत्पादन की समस्या देखी गई है। अत्यधिक गर्मी और हीटवेव के कारण डीएनए में क्षति देखी जा रही है जो प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। ये इसलिए भी चिंताजनक स्थिति है क्योंकि जिस प्रकार से दुनिया के अधिकतर देशों में पिछले एक दशक में तापमान में वृद्धि हो रही है वो न सिर्फ प्रजनन पर असर डाल रही है साथ ही इसका असर भ्रूण की सेहत पर भी नकारात्मक रूप से देखा जा रहा है।

समय से पहले जन्म का जोखिम

हीटवेव समय से पहले जन्म और इससे संबंधित जटिलताओं का भी कारण बन रही है। कैलीफोर्निया में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि तापमान में प्रत्येक 5.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण समय से पहले जन्म का जोखिम 8.6 प्रतिशत बढ़ जाता है। समय से पहले जन्मे बच्चों में विकासात्मक समस्याओं के साथ कई प्रकार की अन्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।

अधिक तापमान के संपर्क से करें बचाव

विशेषज्ञ कहते हैं अधिक तापमान के कारण कई प्रकार के स्वास्थ्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं, प्रजनन विकारों की समस्या उनमें से एक उभरता खतरा है। महिला और पुरुषों दोनों को अधिक तापमान के संपर्क में आने से बचना चाहिए। पहले के अध्ययनों में भी इस बात को लेकर चिंता जताई जाती रही है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान इंसानी स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। जलवायु परिवर्तन से इसका जोखिम और बढ़ गया है।

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