
शेयर फ्रॉड के आरोप लगे थे
नई दिल्ली। सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच समेत 6 अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने के स्पेशल कोर्ट के आदेश पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज यानी 4 मार्च को रोक लगा दी। बुच ने स्पेशल कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर जस्टिस एसजी डिगे ने सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा- शिकायतकर्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायाधीश ने डिटेल्स में जाए बिना और आवेदकों को उनकी भूमिका बताए बिना आदेश पारित कर दिया है। इसलिए, आदेश पर रोक लगा दी गई है। मुंबई के एक स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट ने 1 मार्च 2025 को शेयर फ्रॉड से जुड़े मामले में स्नढ्ढक्र का आदेश दिया था। यह आदेश स्पेशल जज एसई बांगर ने ठाणे बेस्ड जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका पर दिया था। सपन ने स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी की लिस्टिंग में बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
शिकायतकर्ता का आरोप, हेराफेरी से उन्हें नुकसान हुआ
श्रीवास्तव ने दावा किया कि उन्होंने और उनके परिवार ने 13 दिसंबर 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया था, जिसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि सेबी और क्चस्श्व ने कंपनी के अपराधों की अनदेखी की। इसे कानून के खिलाफ लिस्ट किया और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में विफल रहे। कैल्स रिफाइनरीज़ को 1994 में लिस्टिंग की अनुमति दी गई थी और अगस्त 2017 में ट्रेडिंग से सस्पेंड कर दिया गया था। ये शेयर आज तक सस्पेंडेड है।
शिकायतकर्ता के तीन तक…
सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे।
बाजार में हेराफेरी करने दी गई, इससे निवेशकों को नुकसान हुआ।
नियमों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति दी।
सेबी के तीन तक…
बुच और तीनों होलटाइम मेंबर्स उस समय 1994 अपने संबंधित पदों पर नहीं थे।
अदालत ने सेबी को तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का मौका दिए बिना आदेश पारित किया।
आवेदक आदतन वादी है। पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया था।
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