
जयपुर। राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल माफिया की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका ताजा उदाहरण हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा-2022 में देखने को मिला है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने इस मामले में 9 जूनियर असिस्टेंट और एलडीसी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है, जो ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी हासिल कर चुके थे।
एसओजी ने पहले अधिशासी अधिकारी (EO) और राजस्व अधिकारी (RO) भर्ती परीक्षा-2022 की जांच के दौरान कई गिरफ्तारियां की थीं। इसी दौरान मुख्य सरगना पौरव कालेर से हुई पूछताछ में पता चला कि उसकी गैंग ने हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा में भी संगठित तरीके से नकल करवाई थी।
एसओजी ने जालोर, भीलवाड़ा, पाली, उदयपुर, नागौर, बीकानेर, चूरू, सीकर और ब्यावर में छापेमारी कर 9 सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। इनमें शामिल हैं:
द्रोपदी सिहाग – कनिष्ठ सहायक, न्यायिक मजिस्ट्रेट बाली (पाली)
सुनीता – एसीजेएम कोर्ट, सरदारशहर (चूरू)
उमेश तंवर – जेएम कोर्ट, सुजानगढ़ (चूरू)
सुमन भुखर
बीरबल
सुरेश – न्यायिक मजिस्ट्रेट, दक्षिण उदयपुर
राकेश कस्वा – सीजेएम कोर्ट, उदयपुर
विभीषण
रामलाल – एसीजेएम कोर्ट, गुलाबपुरा (भीलवाड़ा)
कैसे रची गई थी नकल की साजिश?
गिरफ्तार पौरव कालेर ने पूछताछ में बताया कि उसने विदेश से हाई-टेक ब्लूटूथ डिवाइस मंगवाई थी। इसके जरिए परीक्षा के दौरान प्रश्नों के उत्तर परीक्षार्थियों को बताए जाते थे।
कैंडिडेट्स की पहचान: गिरोह के सदस्य ऐसे उम्मीदवारों को चुनते थे, जो पैसे देकर नकल करवाने को तैयार हों।
ब्लूटूथ डिवाइस की सेटिंग: नकल गैंग अभ्यर्थियों को परीक्षा से दो दिन पहले ट्रेनिंग देता था कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग कैसे करना है।
सौदे की कीमत: परीक्षा पास कराने के लिए 5 से 7 लाख रुपए तक वसूले जाते थे।
पौरव कालेर का लंबा आपराधिक इतिहास : पौरव पहले भी पटवारी भर्ती परीक्षा-2021 और REET परीक्षा में नकल कराने के मामलों में गिरफ्तार हो चुका है।
पटवारी भर्ती परीक्षा-2021 में उसका नाम सामने आने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
REET परीक्षा में ब्लूटूथ लगी चप्पल से नकल कराने में उसकी संलिप्तता उजागर हुई थी। इस मामले में उसके चाचा तुलछाराम कालेर और पत्नी भावना गोस्वामी को भी गिरफ्तार किया गया था।
पौरव राजाराम बिश्नोई और बाबूलाल मूंड के साथ मिलकर परीक्षाओं में नकल गिरोह चलाता था।
एसओजी ने 9 गिरफ्तार कर्मचारियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। इसके अलावा 18 से अधिक अभ्यर्थी संदेह के घेरे में हैं।
सरकारी भर्ती परीक्षाओं में हाई-टेक नकल का यह मामला एक बार फिर व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर कड़ा रुख अपनाकर परीक्षा तंत्र को कैसे सुधारता है।