हिमाचल प्रदेश के विधायक की मांग, राजधानी को शिमला से कहीं और स्थानांतरित किया जाए

शिमला
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देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने मंगलवार को राजधानी को शिमला से स्थानांतरित करने की वकालत करते हुए तर्क दिया कि शहर प्रकृति की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिहाज से बेहद संवेदनशील है और अगर भूकंप आया तो यह बर्बाद हो जाएगा। केंद्र से राज्य की बाढ़ को प्राकृतिक आपदा घोषित करने की मांग पर केंद्रित एक प्रस्ताव पर बहस में भाग लेते हुए होशियार सिंह ने कहा, ‘‘क्या शिमला सुरक्षित है? नहीं, यह सुरक्षित नहीं है। स्मार्ट राजधानी के बारे में सोचिए तथा सभी सरकारी कार्यालयों को शिमला से बाहर ले जाइए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि साढ़े पांच से साढ़े छह तीव्रता का भूकंप आया गया तो शिमला में कुछ भी नहीं बचेगा।’’ उन्होंने एक ऐसी नीति तैयार करने की मांग की जिससे सरकारी एवं निजी दोनों तरह के सभी भवनों का अनिवार्य रूप से बीमा किया जाए। विधायक ने आपदाओं से निपटने तथा ऐसे वक्त में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के वास्ते राज्य में आरक्षित बल को प्रशिक्षण देने का भी आह्वान किया। होशियार सिंह ने कहा कि शिमला में विनाश की एक बड़ी वजह पुराने पेड़ हैं और उन्होंने उन्हें काटने की मांग की। उन्होंने सड़कों को नुकसान पहुंचने के लिए पहाड़ों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया।

मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ने भुज और केदारनाथ त्रासदी के दौरान गुजरात तथा उत्तराखंड को संप्रग सरकार द्वारा दी गई सहायता के आंकड़े दिए और दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र द्वारा राज्य को ऐसी कोई मदद नहीं दी गई। इसके बाद दोनों दलों के सदस्यों ने विधानसभा सदन में नारे लगाए। नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस झूठे वादे करके सत्ता में आई और मुख्यमंत्री ने राज्य को बर्बाद कर दिया है।

भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि जिनके घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं उनके लिए सरकार की ओर से एक लाख रुपये और जिनके घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं उनके लिए 1.30 लाख रुपये की पेशकश पर्याप्त नहीं है। उन्होंने उन लोगों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। बहस में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शर्मा को इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखना चाहिए और सरकार को केंद्रीय फंड दिलाने में मदद करनी चाहिए।