
- दर्शकों ने महात्मा गांधी पर आधारित दस्तांगोई प्रस्तुति का लुत्फ उठाया
जयपुर। शहीद दिवस (30 जनवरी) के अवसर पर, हिमांशु वाजपेयी द्वारा ‘दास्तान गांधी अभय की’ पर शानदार स्टोरीटैलिंग परफॉर्मेंस शनिवार को जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के फेसबुक पेज पर प्रस्तुत की गई। प्रस्तुति में गांधी की कहानी, निर्भयता पर उनके विचार, कैसे उन्होंने स्वयं को निडर बनाया, कैसे उनकी निडरता ने देश को प्रभावित किया और कैसे उन्होंने नागरिकों के मन में निर्भयता को जगाया, आदि के बारे में बताया गया। कार्यक्रम का आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार और जेकेके द्वारा किया गया।
इस अवसर पर, कला एवं संस्कृति मंत्री, राजस्थान सरकार, डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी के आदर्श न केवल विशिष्ट समय अवधि के लिए प्रासंगिक हैं, बल्कि मानव जाति के अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है। गांधी के आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने श्री वाजपेयी का उनके कलात्मक और भावनात्मक प्रदर्शन के लिए आभार भी व्यक्त किया।
‘दस्तांगोई’ कला के संक्षिप्त परिचय के साथ परफॉर्मेंस शुरू हुई। कहानीकार ने बताया कि दस्तांगोई शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘दास्तान’ का अर्थ है ‘कहानी’ और ‘गोई’ का अर्थ है ‘बताना’। स्वतंत्रता के बाद, जवाहर लाल नेहरू से पूछा गया कि महात्मा गांधी के बारे में सबसे खास बात क्या है। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि गांधी ने आम हिंदुस्तानी आदमी के दिमाग से अंग्रेजों का डर निकाल दिया। प्राचीन ग्रंथों ने हमें सिखाया है कि निर्भयता किसी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। ब्रिटिश राज के दौरान, भारत के लोगों में व्याप्त सबसे बड़ी भावना ‘डर’ थी। लोगों में सेना, पुलिस, गुप्तचर सेवा, दमनकारी कानून, कारावास, जमींदारों, साहूकारों के प्रति दर्द और घुटनभरा डर सर्वव्यापी था। गांधी आए और उन्होंने अपनी शांत लेकिन दृढ़ आवाज में लोगों से कहा कि वे डरें नहीं और जनता की नजरों से भय का पर्दा हट गया। उनका मानना था कि अहिंसा का पालन करने वाला व्यक्ति निर्भयता के सर्वोच्च शिखर पर होता है।