मुंबई। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने कहा कि हमारी रिपोर्ट पर एसईबीआई चेयरपर्सन माधबी बुच ने प्रतिक्रिया देते हुए कई चीजें स्वीकार की हैं, जिससे कई नए सवाल खड़े हो गए हैं। हिंडनबर्ग ने कहा- बुच के जवाब से ये पुष्टि होती है कि उनका निवेश बरमुडा/मॉरिशस के फंड में था। ये वही फंड है जिसका इस्तेमाल गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी करते थे। आरोप है कि विनोद अडाणी इन फंड्स के जरिए अपने ग्रुप के शेयरों की कीमत बढ़ाते थे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने ये भी कहा कि मार्केट रेगुलेटर एसईबीआई को अडाणी मामले से संबंधित इन्हीं ऑफशोर फंडों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें माधबी पुरी बुच की ओर से निवेश किया गया था। यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का एक बड़ा मामला है। हिंडनबर्ग ने शनिवार को पब्लिश अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।
पार्ट 1 : सेबी चेयरपर्सन के जवाब के बाद हिंडनबर्ग के नए सवाल
बुच के अनुसार वे दोनों कंल्सटिंग कंपनियों (एक भारतीय यूनिट और एक सिंगापुरी युनिट) से 2017 में एसईबीआई में नियुक्त होते ही हट गई थीं, लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बुच 16 मार्च 2022 तक अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर की 100 प्रतिशत शेयरधारक बनी रहीं और सेबी के मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह इसकी मालिक रहीं। सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के 2 हफ्ते बाद उन्होंने अपने शेयर अपने पति के नाम ट्रांसफर किए।
बुच ने जिस सिंगापुर की कंसल्टिंग यूनिट की स्थापना की थी, वह सार्वजनिक रूप से रेवेन्यू या प्रॉफिट जैसी अपनी वित्तीय रिपोर्ट नहीं देती है, इसलिए यह देखना असंभव है कि सेबी में उनके कार्यकाल के दौरान इस यूनिट ने कितना पैसा कमाया है। फाइनेंशियल स्टेटमेंट के अनुसार माधबी की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अगोरा एडवाइजरी इंडिया ने वित्त वर्ष (2022, 2023, और 2024) के दौरान 2.39 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। ये रेवेन्यू माधबी के चेयरपर्सन रहते जनरेट किया गया है। बुच ने सेबी की मेंबर के रूप में सर्विस करते समय अपने पति के नाम का उपयोग करके बिजनेस करने के लिए अपने पर्सनल ईमेल का उपयोग किया था। सवाल उठता है कि एसईबीआई चेयरपर्सन ने पद पर रहते हुए अपने पति के नाम से कौन से निवेश और बिजनेस किए?
जिस फंड का जिक्र उसमें एसईबीआई चेयरपर्सन ने 2015 में निवेश किया था
माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 11 अगस्त को बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया था। एसईबीआई चेयरपर्सन ने कहा – जिस फंड का जिक्र किया गया है उसे उन्होंने 2015 में लिया था। तब उनका एसईबीआई से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाया कि भारत में अलग-अलग मामलों में हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय, उन्होंने एसईबीआई की विश्वसनीयता पर हमला करने और एसईबीआई चीफ के चरित्र हनन करने का विकल्प चुना है।
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