
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हायरिंग आउटलुक में थोड़ा सुधार हुआ है लेकिन सेंटिमेंट अभी भी कमजोर बना हुआ है। फिक्की के सर्वे में यह बात सामने आई है। जुलाई-सितंबर 2020 के ताजा तिमाही सर्वे में सामने आया है कि 80% कंपनियां अगले तीन महीने में अतिरिक्त वर्कफोर्स हायर करने के मूड में नहीं हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के मुकाबले हायरिंग को लेकर मौजूदा समय में थोड़ा सुधार आया है। अप्रैल-जून तिमाही में 85% कंपनियों ने कहा था कि वे अतिरिक्त वर्कफोर्स हायर करने के पक्ष में नहीं हैं। सर्वे के मुताबिक, पहली तिमाही के मुकाबले जुलाई-सितंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में थोड़ी रिकवरी आई है।
24% कंपनियों ने ज्यादा उत्पादन की बात स्वीकारी
सर्वे के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के 24% उत्तरदाताओं ने दूसरी तिमाही में ज्यादा उत्पादन की बात स्वीकारी है। इसके मुकाबले पहली तिमाही में केवल 10% उत्तरदाताओं ने ज्यादा उत्पादन की बात स्वीकारी थी। 74% उत्तरदाताओं ने दूसरी तिमाही में कम या समान उत्पादन की बात स्वीकारी है। पहली तिमाही में 90% उत्तरदाताओं ने यह बात स्वीकारी थी।

65% कंपनियां अपनी पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल कर रही हैं
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 65% कंपनियां अपनी पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल कर रही हैं। लगातार दो तिमाही के बाद इसमें सुधार आया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में उत्पादन लगभग ठप रहा था। वहीं, वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कंपनियों ने अपनी 61.5% क्षमता का इस्तेमाल किया था।
फ्यूचर इन्वेस्टमेंट आउटलुक में गिरावट
सर्वे के मुताबिक, दूसरी तिमाही में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट आउटलुक में गिरावट आई है। केवल 18% उत्तरदाताओं ने क्षमता विस्तार के लिए अगले 6 महीने में निवेश की बात कही है। पिछले तिमाही में 22% उत्तरदाताओं ने फ्यूचर इन्वेस्टमेंट की बात कही थी। हालांकि, कच्चे माल की ज्यादा कीमत, फाइनेंस की ऊंची लागत, स्किल लेबर और वर्किंग कैपिटल की कम, ज्यादा लॉजिस्टिक्स लागत, घरेलू और ग्लोबल मांग में कमी भी अन्य फैक्टर हैं जिनके कारण मैन्युफैक्चरिंग कारोबार के विस्तार में बाधा आ रही है।