टोंक रियासत का इतिहास गरिमापूर्ण, गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र- मुजीब आजाद

जयपुर/टोंक/ चित्तौड़गढ़- टोंक के 1076 वें स्थापना दिवस पर आयोजित टोंक महोत्सव के अवसर पर सोमवार को मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक एवं टोंक महोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान मे प्रातः 12.30 बजे एपीआरआई में टोंक के इतिहास से जुड़ी चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया तत्पश्चात 1.00 बजे एपीआरआई में, नवाब वज़ीरुद्दोला बहादुर नुसरतजंग और नवाब मोहम्मद अली खां बहादुर सोलतेजंग के जीवन और शासनकाल के महत्वपूर्ण कार्यों पर सेमिनार शिक्षाविद मुजीब आजाद की अध्यक्षता में आयोजित किया गया जिसमे देहली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हबीब अहमद तथा पूर्व निदेशक साहिबजादा शौकत अली खां उपस्थित रहे, संस्थान निदेशक साहिबजादा डॉ सौलत अली खान तथा टोंक महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुजीत सिंहल विशिष्ट अतिथि के रूप मे शिरकत की।

अध्यक्षीय संबोधन में मुजीब अता आजाद ने कहा कि राजपूताना की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक का इतिहास गरिमापूर्ण है, टोंक के नवाबों ने अपने कामों से इतिहास में विशेष स्थान बनाया। तलवार के जोर से साम्राज्य विस्तार करते हुए टोक आये और रियासत कायम की, सूफी दर्शन के कारण ही टोंक गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र माना जाता है स्वतंत्रता संग्राम के समय टोंक की चर्चा करते हुए मुजीब आजाद ने कहा कि सन 1857 की क्रांति में राजस्थान के अमर शहीदों में ताराचंद पटेल का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है. ताराचंद पटेल टोंक के निवासी थे और निम्बाहेड़ा में टोंक रियासत की ओर से नियुक्त थे, उस के ब्रिटिश जनरल जैकसन के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने जब निम्बाहेड़ा पर आक्रमण किया तो स्थानीय लोगों के सहयोग से स्वतंत्रता सेनानी गोपीचंद ने सेना को रोकने में के जनआंदोलन की अगुवाई की जब अंग्रेजों ने निम्बाहेड़ा पर अधिकार कर लिया तब ताराचंद पटेल को गिरफ्तार कर तोप के गोलों से उड़ा दिया गया, टोंक के सपूत ने शहादत पाई ।

मुजीब आजाद ने देश की आजादी के बाद का एक प्रसंग बताते हुए कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू 6 अप्रैल 1956 को नीमच से चित्तोड़ जाते समय निम्बाहेड़ा रुके थे तब निंबाहेड़ा में उनकी आवभगत और खातिरदारी से खुश होकर उन्होंने कहा था कि निंबाहेड़ा मुस्लिम रियासत टोंक की जागीर रही है इसलिए यहां के लोगों में टोंक की तहजीब और तमीज देखने को मिल रही है। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने टोंक की सभ्यता और संस्कृति की उस समय तारीफ की थी।

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