
- केंद्र की ओर से सभी के लिए आदेश दिए गए व उक्त राशि भी आवंटित की गई है
- आईईसी व आशा समन्वयकों ने की रेशनलाइजेशन से मानदेय बढ़ोतरी की मांग
हनुमानगढ़। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तहत शुरुआती दौर से जिला स्तर पर बेहतरीन कार्य कर रहे आईईसी व आशा समन्वयकों ने रेशनलाइजेशन से मानदेय बढ़ोतरी की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग की समस्त योजनाओं एवं स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार एवं आशा मॉनिटरिंग का जिम्मा इन्हीें समन्वयकों के पास है और इन्हें के साथ हुए भेदभाव से ये कार्मिक आहत हैं, जिसके चलते जिला आईईसी व आशा समन्वयक ने आज मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवनीत शर्मा के मार्फत एक ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा एवं एनएचएम एमडी को ज्ञापन भेजा है।
उल्लेखनीय है कि आईईसी व आशा समन्वयकों ने कोविड में सबसे सशक्त भूमिका अदा की एवं आमजन को कोविड बचाव के प्रति जागरूक करने सहित हर कार्य में योगदान दिया। उक्त कार्मिक एनएचएम के प्रारंभ से ही कार्यरत हैं, लेकिन आज दिनांक तक रेशनलाइजेशन का लाभ नहीं मिला है। जबकि वर्ष 2010 में अन्य पदों यथा राज्यस्तरीय कर्मियों सहित जिलास्तर पर कार्यरत डीपीएम, डीएनओ, डीएएम आदि का मानदेय करीब दोगुना किया गया।
इसी तरह न्यायालय के आदेशों पर वर्ष 2019 में अन्य वंचित पदों यथा बीपीएम, बीएचएस, पीएचएस आदि का मानदेय 20 प्रतिशत बढ़ाया गया। हैरत की बात है कि अन्य सभी की बढ़ोतरी के बीच इस पद से भेदभाव करते हुए रेशनलाइजेशन से वंचित रखा गया। जबकि केंद्र की ओर से सभी के लिए उक्त राशि आवंटित की गई है और आदेश भी दिए गए हैं। वहीं एक अन्य पद आशा समन्वयक का भी मानदेय नहीं बढ़ाया गया है, जो वर्तमान में माननीय न्यायालय की शरण में गए हुए हैं।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व में ब्लॉक स्तरीय बीपीएम एवं आईईसी तथा आशा समन्वयकों का मानदेय एक समान था लेकिन वर्तमान में आईईसी व आशा समन्वयकों का मानदेय बीपीएम से तीन हजार रुपए कम है। ऐसे में आईईसी व आशा समन्वयकों ने रेशनलाइजेशन के आधार पर 30 फीसदी मानदेय बढ़ोतरी की मांग की है। साथ ही वार्षिक अभिवृद्धि भी संविदा शर्तों अनुसार हर वर्ष 10 फीसदी बढ़ाने की मांग एनएचएम कर्मी कर रहे हैं।
क्योंकि वर्तमान में राज्यस्तर से एनएचएम कर्मियों के मानदेय में से 5 फीसदी हिस्सा काटा जा रहा है, जिससे कर्मियों में खासा रोष है। वहीं उक्त 5 फीसदी अभिवृद्धि भी अप्रैल में होने की बजाए आगामी वर्ष के नजदीक जनवरी-फरवरी में की जाती है।
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