गरीबों माइनस्टोर्न सूप कैसे पहुंचा महंगे रेस्टोरेंट्स, जाने इतिहास

माइनस्टोर्न सूप
माइनस्टोर्न सूप

दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में जब रोम ने इटली को जीत लिया, तो वहां आर्थिक तरक्की हुई और व्यापार के नए रास्ते खुले। इस वजह से रोम की राजधानी में कई तरह के कृषि उत्पाद आने लगे और रोम के पकवानों में अलग-अलग तरह की सब्जियों का इस्तेमाल होने लगा। बता दें, रोमन रसोई से जुड़ी किताब दे रे कोकिनारिया में पोलस नाम के एक सूप का जिक्र है। यह सूप फारो (एक तरह का अनाज), चने, सेम, प्याज, लहसुन, चर्बी और हरी सब्जियों से बनता था और आपको जानकर हैरानी होगी कि यह माइनस्टोर्न सूप का एक शुरुआती रूप था। गरीबों माइनस्टोर्न सूप कैसे पहुंचा महंगे रेस्टोरेंट्स, जाने इतिहास

गरीबों की रसोई से शाही मेज तक का सफर

माइनस्टोर्न सूप
माइनस्टोर्न सूप

मिनस्ट्रोन सूप का जन्म इटली में हुआ, मगर शुरुआत यह कोई शाही व्यंजन नहीं था। जी हां, सदियों पहले जब लोगों के पास सीमित संसाधन होते थे, तब घरों में जो भी सब्जियां और अनाज उपलब्ध होते थे, उन्हें मिलाकर यह सूप बनाया जाता था। इसमें आमतौर पर बची हुई सब्जियां, पास्ता, चावल, बीन्स और कभी-कभी थोड़ा-बहुत मीट भी डाल दिया जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य था पेट भरना और पोषण देना, क्योंकि तब भोजन को बर्बाद करना पाप माना जाता था। यह सिर्फ एक सूप नहीं था, बल्कि यह इतालवी परिवारों के लिए एक ऐसा भोजन था जो उन्हें एक साथ जोड़ता था। बड़े-बड़े बर्तनों में इसे घंटों पकाया जाता था और इसकी खुशबू पूरे घर में फैल जाती थी। बता दें, यह मेहनत करने वाले लोगों के लिए एनर्जी का सोर्स था, जो उन्हें दिन भर के काम के बाद सुकून देता था।

वक्त के साथ हुए सूप में बदलाव

समय के साथ, मिनस्ट्रोन सूप ने अपनी साधारण जड़ों को पीछे छोडऩा शुरू किया। इसकी सादगी, पोषण और लाजवाब स्वाद ने लोगों का ध्यान खींचा। जैसे-जैसे लोग इटली से दुनिया के अन्य हिस्सों में गए, वे अपने साथ इस सूप की रेसिपी भी ले गए। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे बनाने के तरीके में थोड़ा बदलाव आया, हर जगह की स्थानीय सामग्री के अनुसार इसमें नए स्वाद जुड़ते गए। कहीं इसमें ज्यादा सब्जियां डाली गईं, कहीं अलग तरह का पास्ता और कहीं-कहीं तो लोकल मसालों का भी इस्तेमाल होने लगा। इस विविधता ने मिनस्ट्रोन को और भी लोकप्रिय बना दिया।

आज दुनिया भर में पसंद कर रहे लोग

आज, मिनस्ट्रोन सूप केवल इटली तक ही सीमित नहीं है। जी हां, यह दुनिया भर के बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स में परोसा जाता है। शेफ अपनी क्रिएटिविटी का यूज कर इसे नए-नए रूपों में पेश करते हैं, लेकिन इसकी मूल पहचान यानी ताजी सब्जियों और पास्ता का मिश्रण, हमेशा बरकरार रहती है। अब यह सिर्फ गरीबों का भोजन नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा व्यंजन बन गया है जिसे हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं। इसकी गर्माहट, पौष्टिक गुण और आरामदायक स्वाद इसे एक सदाबहार डिश बनाते है। ऐसे में, अगली बार जब आप किसी रेस्टोरेंट में मिनस्ट्रोन सूप ऑर्डर करें, तो याद रखिएगा कि आप सिर्फ एक सूप नहीं, बल्कि एक ऐसी डिश का स्वाद ले रहे हैं जिसने गरीबी की रसोई से निकलकर दुनिया के सबसे फैशनेबल डाइनिंग टेबल्स तक का सफर तय किया है।

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