नींद पूरी नहीं लेने से बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा

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अच्छी सेहत के लिए नींद कितनी जरूरी है ये हम सभी अक्सर पढ़ते-सुनते रहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम जितना जरूरी है, अच्छी नींद की भी उतनी ही आवश्यकता होती है। नींद पूरी न होने के कारण कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है उनमें डायबिटीज होने का खतरा अधिक हो सकता है। इतना ही नहीं अगर आप एक हफ्ते भी अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं तो इससे भी टाइप-2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ सकता है। जर्नल डायबिटीज केयर में प्रकाशित इस अध्यययन की रिपोर्ट के मुताबिक नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, ये कई प्रकार के क्रोनिक बीमारियों के खतरे से बचाने में भी मददगार हो सकती है। अध्ययन में पाया गया है कि सप्ताह भर की भी अनियमित नींद मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को 34 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। नींद पूरी नहीं लेने से बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा

नींद की कमी और डायबिटीज का खतरा

डायबिटीज
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स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो सात दिनों के नींद के गड़बड़ आदत की तुलना लंबे अवधि में नींद की समस्याओं के दुष्प्रभावों से नहीं की जा सकती है फिर भी हमें पता चलता है कि कुछ दिन भी नींद पूरी न होने की स्थिति और जीवनशैली में बदलाव के कारण भी स्वास्थ्य संबंधित खतरे बढ़ सकते हैं। वहीं ये भी पता चलता है कि जो लोग रोज रात में अच्छी और निर्बाध नींद लेते हैं उनमें डायबिटीज का जोखिम कम हो सकता है। ब्रिघम एंड वूमन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन ने अच्छी नींद की आवश्यकताओं को लेकर एक बार फिर से लोगों को अलर्ट किया है।

अध्ययन में क्या पता चला?

शोधकर्ता कहते हैं, टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो दुनियाभर में लगभग आधे अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यह मृत्यु और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारणों की शीर्ष सूची में भी शामिल है। पूर्वानुमानों के अनुसार साल 2050 तक इस खतरनाक रोग से प्रभावित लोगों की संख्या दोगुनी हो सकती, इसलिए मधुमेह की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयास किए जाने आवश्यक हैं। टीम ने इस शोध के लिए यूके बायोबैंक से 84,000 से अधिक प्रतिभागियों के डेटा का गहन अध्ययन किया। प्रतिभागियों की औसत आयु 62 वर्ष थी, इनकी नींद को ट्रैक करने के लिए एक सप्ताह तक उपकरण पहनने को दिए गए।

अनियमित नींद के दुष्प्रभाव

अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने रात में 7-9 घंटे की अच्छी नींद ली, उनकी तुलना में अनियमित नींद (प्रतिदिन की नींद में औसतन 60 मिनट से अधिक की कमी) वाले प्रतिभागियों में मधुमेह विकसित होने का 34 प्रतिशत अधिक जोखिम पाया गया। जीवनशैली की आदतों और मोटापे जैसे अन्य कारकों में सुधार करने के बाद भी जिन लोगों में नींद की कमी थी उनमें इस रोग का जोखिम अधिक देखा गया।

क्या कहती हैं शोधकर्ता?

ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल की रिसर्च फेलो और अध्ययन की प्रमुख लेखिका सिना कियानेर्सी ने कहा, हमारे निष्कर्ष टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए नींद के पैटर्न में सुधार के महत्व को रेखांकित करते हैं। नींद की कमी मेटाबॉलिज्म सहित कई प्रकार की हार्मोनल समस्याओं को बढ़ा सकती है जिससे डायबिटीज का जोखिम रहता है। वैसे तो 7-दिन की नींद की अवधि का आकलन दीर्घकालिक नींद के पैटर्न से नहीं किया जा सकता है फिर भी अगर इतनी कम अवधि की नींद में गड़बड़ी से खतरा बढ़ सकता है तो हमें बहुत सावधान हो जाने की जरूरत है। कम उम्र से ही अच्छी नींद पर ध्यान देकर मधुमेह के जोखिमों के कम करने में मदद मिल सकती है।

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