
जयपुर। विगत वर्ष कि भांति इस वर्ष भी लंदन में विशाल राजपुरोहित सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है । 15 जून को लंदन के हैरो में गुजेंगा , ” जय रघुनाथ जी री सा ” राजपुरोहित संतो और सुरमाओे का गुणगान होगा। आज जहां देस विरेश मे बसे राजपुरोहित बंधु अपनी पहचान खो रहे है।
वहीं युनाईटेड किंगडम में बसे राजपुरोहित अपने पुर्वजों के गौरवशाली इतिहास , पहचान और संस्कारों के साथ हर साल राजपुरोहित सम्मेलन का आयोजित करते आ रहे है तथा अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का प्रयास कर रहे है। इस विशाल राजपुरोहित सम्मेलन में लंदन ही नही अपितू इंग्लैंड, वेल्श, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में बसे राजपुरोहित भी सामिल होंगे।
पिछली वर्ष कि भाँति ही इस वर्ष भी राजस्थानी पहचान दाल – बाटी – चुरमे के साथ विभिन्न राजस्थानी भोजन परोसे जायेंगे। मेहमानों का स्वागत तिलक लगाकर व साफा बंधाकर किया जायेगा। जहां बच्चे मेहमानों का स्वागत “जय रघुनाथ जी री सा” और मनवार में “जळ आरोगो सा” जैसे संबोधनों से करेंगे।
इस कार्यक्रम में ख़ास बच्चों को तैयार किया गया है जो अपने समाज , गाँव और पूर्वजों के इतिहास के बारे में दो शब्द बोलेंगे वहीं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ छोटी ग़ैर और घुमर भी होगी ।.
पिछले वर्ष कि ही भाँति इस वर्ष भी राजपुरोहितों की जाज़म लगेगी जहां समाज बंधूँ एक दूसरे को अपने हथेली में अमल की मनवार करेंगे। संयोजक हनवंतसिंघ गाँव बारवा ने बताया कि इंग्लैंड का ये राजपुरोहित समाज अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिये ये अनुठी पहल करता आया है । जिसका उद्देश्य है कि राजपुरोहितो की पहचान जीवित रहनी चाहिये और अफ़ीम के नुक़सान को देखते हुए यहाँ हमने डार्क चाकलेट का प्रयोग किया है । जो दिल के लिये भी अच्छी होती है।
प्रोग्राम के लिये मितेश गाँव भोजास , दिनेश गाँव रडवा , मुकेश गाँव भादरलाऊ और केतन गाँव सोकडा ने अपनी सेवा देते हुए व्यापक स्तर पर तैमारियों में शुक्रवार से ही लगे हुए है। इस अवसर पर राजपुरोहित समाज युके ने अपनी वार्षिक पत्रिका , राजपुरोहित समाज 2024 छपवायी है जिसका विमोचन भी सम्मेलन में किया जायेगा । आज होने वाले सम्मेलन में बड़ी संख्या में समाज बंधुवो के पहूंचने की सूचना है।