
नई दिल्ली। ईरान और इजरायल आमने सामने हैं, दोनों एक दूसरे के देश में तबाही मचा रहे हैं। अभी तक जंग में सब पर भारी पडऩे वाले इजरायल की हालत इस बार खस्ता है। ईरान के ताबड़तोड़ मिसाइल हमले जारी हैं। इसी बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ईरान पर साथ मिलकर हमला करने का आश्वासन मिलने के बंद आत्मविश्वास से लबरेज थे लेकिन अब ट्रंप कायूटर्न लेने नेतन्याहू को भारी पड़ रहा है। ट्रंप ने हमले का फैसला टालते हुए इसे दो हफ्ते आगे बढ़ाया है।
इस ऐलान से नेतन्याहू की चिंता बढ़ गई है। क्योकि इजरायल अकेला ईरान से लोहा नहीं ले पा रहा है। इंटरनेशनल मीडिया के मुताबिक इजरायल में हथियार की कमी साफ देखी जा सकती है। साथ ही ईरान के हमलों से खुद को डिफेंड करने के चक्कर में काफी नुकसान उठा रहा है। इसका डिफेंस सिस्टम हाफ रहे हैं। अब अगर अमेरिका इसके बचाव में नहीं आया तो इजरायल को जंग के मोर्चे पर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
ईरानी मिसाइल हमलों से रक्षा करने के लिए इजरायल अपनी मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम यानी ‘आयरन डोम’ और ‘डेविड स्लिंग’ का खूब इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि अब इसके स्टॉक आधे से ज्यादा खत्म हो चुके हैं, जिससे उसे कुछ क्षेत्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे-वैसे मिसाइल हमलों से नागरिक क्षेत्रों और रणनीतिक ठिकानों पर खतरा बढ़ रहा है। इससे इजरायल की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। देश की हवाई सीमाएं बंद हैं और व्यावसायिक गतिविधियां लगभग ठप हो चुकी हैं। युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, इजरायल को उतनी ही ज्यादा आर्थिक कीमत चुकानी होगी।