जम्मू कश्मीर को राज्य के दर्जे की बहाली नहीं तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: फारूक अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने इसे लेकर केंद्र सरकार को चेताया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की चेतावनी जारी कर दी है। अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने में अत्यधिक देरी हुई तो उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

दक्षिण कश्मीर जिले के कोकरनाग इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि चुनाव के बाद लोग चाहते थे कि उनके मुद्दे तुरंत हल हो जाएं लेकिन राज्य का दर्जा बहाल न किया जाना हमें रोक रहा है।

उनकी कई मांगें हैं जैसे कि वह चाहते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अल्ताफ कालू मंत्री बनें लेकिन राज्य का दर्जा बहाल होने तक यह कैसे संभव है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम इंतजार कर रहे हैं लेकिन अगर वह (केंद्र) लंबा समय लेते हैं तो हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जब राज्य का दर्जा बहाल होगा तो हमें सभी अधिकार मिल जाएंगे।

पहलगाम हमले को लेकर बोल चुके हैं केंद्र पर हमला
इससे पहले अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि हमलावर इतने सारे सुरक्षा बलों और ड्रोन जैसी तकनीकों की मौजूदगी के बावजूद बैसरन तक पहुंचने और हमला करने में कामयाब रहे। अब्दुल्ला ने पूछा कि केंद्र ने कहा कि हमने यहां आतंकवाद को खत्म कर दिया है तो वे पहलगाम हमलावर कहां से आए। हमारे पास इतने सारे बल, इतने सारे ड्रोन आदि हैं। वे चार हमलावर कहां से आए। उन्होंने कहा कि हम अभी तक उन्हें नहीं ढूंढ पाए हैं। हम कहते हैं कि हम अब एक शक्तिशाली राष्ट्र हैं और हमारा कोई मुकाबला नहीं है लेकिन हम उन चारों को नहीं ढूंढ पाए। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।

ईराक-जंग पर भी बोले
इजरायल-ईरान संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि वह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वह दोनों देशों को युद्ध रोकने की सद्बुद्धि दें। उन्होंने कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर इजरायल और ईरान दोनों को कुछ समझ दे और ट्रंप को भी कुछ समझ दे ताकि वह युद्ध की नहीं बल्कि शांति की बात करें। मुद्दों को केवल शांतिपूर्ण तरीके से ही सुलझाया जा सकता है और शांति के बिना कुछ भी हासिल नहीं होगा।