याददाश्त कमजोर होने लगी है तो ना करें लापरवाही, इस बीमारी का है संकेत

कमजोर याददाश्त
कमजोर याददाश्त

डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी होती है जिसका प्रभाव व्यक्ति की याददाश्त पर पड़ता है। यह कोई अलग खास बीमारी नहीं है बल्कि बहुत सी अलग-अलग बीमारियों को इकठ्ठा डिमेंशिया कहा जा सकता है। याददाश्त कमजोर केवल डिमेंशिया के केस में ही नहीं बल्कि बहुत से अलग-अलग कारणों से हो सकती है, इसलिए बहुत से लोग डिमेंशिया को लेकर दुविधा में रहते हैं। आमतौर पर बुढ़ापे में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है. अगर इसके लक्षणों का पूरी तरह से पता चल सके तो डिमेंशिया को पहचानना और भी ज्यादा आसान हो जाता है। इसकी पहचान करने के तुरंत बाद ही इसका उपचार शुरू करवा दिया जाता है। आइए जानते हैं डिमेंशिया के अलग अलग लक्षणों के बारे में ताकि जल्द ही की जा सके इसकी पहचान।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, उम्र बढऩे के साथ यह रोग किसी को भी हो सकता है, इसमें जरूरी है कि परिवार के सदस्य रोगी की विशेष देखभाल करें। रोगी के परिवेश को शांत रखें, टीवी-साउंड की आवाज, उन्हें परेशान या भ्रमित कर सकती हैं। रोगी की दिनचर्या को व्यवस्थित करें। परिवार के लोगों को चाहिए अल्जाइमर के रोगी की मानसिक स्थिति के साथ उनकी शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं पर भी गंभीरता से ध्यान दें। समय के साथ अल्जाइमर कई और दिक्कतों को बढ़ाने वाला हो सकता है।

मूत्राशय और आंतों की समस्याएं

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अल्जाइमर से पीडि़त लोगों को पेशाब को नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है। यह समस्या बाउल और ब्लैडर पर नियंत्रण को कम कर सकती है। इस तरह की दिक्कतें बीमारी के बढऩे के साथ होनी सामान्य हैं। उन संकेतों से अवगत रहें जिससे आप समझ सकें कि कब पेशाब की जरूरत है, उनकी सहायता करें।

अवसाद का खतरा अधिक

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अल्जाइमर वाले लोगों में अवसाद होने का जोखिम अधिक हो सकता है। अल्जाइमर रोगी अक्सर उदास महसूस करते हैं, बातचीत और अपनी भावनाओं को शेयर करने में उन्हें कठिनाई हो सकती है। यही कारण है कि उनमें समय के साथ मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा काफी बढ़ जाता है। रोगियों को नियमित व्यायाम, अन्य लोगों के आसपास अधिक समय बिताने और उन कार्यों में व्यस्त रहने के लिए प्रोत्साहित करें, जिन्हें वे पसंद करते हैं। ऐसा करके डिप्रेशन के जोखिम को कम किया जा सकेगा।

संक्रमण का खतरा

अल्जाइमर के बाद के चरणों में रोगियों में संक्रमण होने की अधिक आशंका होती है। इसमें मूत्राशय में संक्रमण, फ्लू और निमोनिया शामिल हैं। 65 वर्ष की आयु के बाद एक बार का निमोनिया का वैक्सीनेशन डॉक्टर की सलाह पर जरूर कराएं। लक्षणों या व्यवहार में अचानक परिवर्तन या बुखार पर ध्यान दें, ये संक्रमण की ओर इशारा हो सकता है। आहार में फल-सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम मजबूती देने में सहायक हो।

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