
शायद ही कोई ऐसा हो, जिसकी डाइट में चीनी शामिल न हो। चीनी हमारे खानपान एक अहम हिस्सा है। कोई मीठा व्यंजन हो या फिर चाय, चीनी के बिनासभी का स्वाद बेस्वाद भी रहता है। सीमित मात्रा में इसका सेवन हानिकारक साबित नहीं होता है, लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाए, तो इससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा चीनी न सिर्फ डायबिटीज की वजह बन सकती है, बल्कि इससे आपके लिवर को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद डॉक्टर्स भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। मीठा लिवर
क्यों जरूरी है लिवर?

हमारे शरीर में कई तरह के अंग मौजूद हैं, जो हमें स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। लिवर इन्हीं अंगों में से एक है, जो हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर मानव शरीर मेटाबॉलिज्म बेहतर करने, इम्युनिटी बढ़ाने, पाचन दुरुस्त करने, डिटॉक्सिफिकेशन और विटामिन स्टोरेज जैसे कई जरूरी कार्य करता है। इतना ही नहीं ब्लड क्लॉटिंग में भी अहम भूमिका निभाता है।
चीनी का लिवर पर असर

डॉक्टर बताते हैं कि बहुत ज्यादा चीनी खाने से लिवर के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मुख्य रूप से चीनी में मौजूद एक घटक फ्रुक्टोज के कारण लिवर ज्यादा प्रभावित होता है। जब बड़ी मात्रा में फ्रुक्टोज का सेवन किया जाता है, तो लिवर इसे वसा में बदल देता है, जो जमा हो सकता है और नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है। नेफलेड में लिवर सेल्स में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है, जो नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच), फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी ज्यादा गंभीर लिवर कंडीशन में बदल सकता है।
डायबिटीज और हार्ट डिजीज का बढ़ता है खतरा
लिवर ग्लूकोज और फ्रुक्टोज दोनों को प्रोसेस करता है, लेकिन ग्लूकोज के विपरीत, फ्रुक्टोज विशेष रूप से लिवर में ही मेटाबॉलाइज्ड होता है। कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स जैसे एक्सट्रा शुगर वाले फूड्स की वजह से हाई फ्रुक्टोज का सेवन, लिवर की क्षमता को बढ़ा देता है, जिससे ट्राइग्लिसराइड्स का प्रोडक्शन बढ़ जाता है। ये फैट लिवर में जमा हो सकते हैं या ब्लड स्ट्रीम में छोड़े जा सकते हैं, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस, टाइप 2 डायबिटीज और हार्ट डिजीज के विकास में योगदान करते हैं।
इसके अलावा ज्यादा चीनी लिवर सेल्स में इंफ्लेमेटरी पाथवेज और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को ट्रिगर करती है, जिससे लिवर का डैमेज बढ़ जाता है। पुरानी सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस लिवर की फंक्शनिंग को खराब कर सकते हैं और लिवर डिजीज की प्रगति को बढ़ावा दे सकते हैं। इन परिस्थितियों में लिवर की रीजनरेट करने की क्षमता भी कम हो सकती है, जिससे सेहत पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
ऐसे रखें लिवर का ख्याल
ऐसे में लिवर के स्वास्थ्य के लिए चीनी का सेवन कम करना जरूरी है। इसके लिए फलों और सब्जियों से प्राप्त नेचुरल शुगर के साथ संतुलित आहार अपना सकते हैं। साथ ही एक्सट्रा शुगर को सीमित करने से भी लिवर डिजीज के खतरे को काफी कम किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ वजन बनाए रखने से लिवर की फंक्शनिंग और पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
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