
ब्लड में शुगर लेवल अधिक बढ़ जाने की वजह से डायबिटीज की समस्या शुरू हो जाती है। यह हमारे डाइट और खान पान की आदत से बढ़ता है। डायबिटीज न्यूरोपैथी एक प्रकार की तंत्रिका क्षति यानी कि नर्व डैमेज है जिसमें पैरों को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ता है। मायो क्लीनिक के मुताबिक, हाई डायबिटीज होने पर हाई ब्लड शुगर पूरे शरीर में नसों को डैमेज कर सकता है जबकि डायबिटिक न्यूरोपैथी की वजह से अक्सर पैरों और पैरों की नसों को सबसे अधिक नुकसान होता है। हालांकि इसका असर हाथों में सुन्नता, पाचन तंत्र, मूत्र पथ, रक्त वाहिकाओं और हार्ट के फंक्शन पर भी पड़ता है। कुछ लोगों में इसके लक्षण कम दिखते हैं जबकि कुछ लोगों में काफी दर्दनाक और अक्षम करने वाली समस्याएं हो सकती हैं।
पैरों में दर्द और सूजन

अगर आप अपने पैरों में लगातार दर्द, झुनझुनी, सुन्नता या जलन महसूस करते हैं, तो ये भी डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा पाचन तंत्र, यूरिनरी ट्रेक्ट, रक्तवाहिनियां और दिल की सेहत भी प्रभावित होती हैं।
पैरों का अल्सर
आम तौर पर, पैरों में अल्सर की पहचान त्वचा में दरार या गहरे घाव से होती है। डायबिटीज के मरीजों में अल्सर मुख्य रूप से पैर के निचले हिस्से में पाया जाता है। जिसके कारण त्वचा खराब हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, शुरुआत से ही डायबिटीज के लक्षण पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। अगर आपको पहले से ही पैरों में अल्सर है, इस संक्रमण का उपचार करना काफी जरूरी है। पैरों में अल्सर होने पर नंगे पैर चलने से बचें और घाव को रोजाना साफ करें और सबसे जरूरी बात है अपने ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखें।
पैरों में सूजन और लालिमा
डायबिटीज के कारण पैरों में फ्रैक्चर भी हो सकते हैं। जिससे पैरों या टखनों में लालिमा, सूजन या अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन

डायबिटीज के मरीजों में नाखूनों में फंगल इंफेक्शन होने का खतरा भी रहता है। इसमें नाखून का रंग बदल जाना, काला पडऩा या नाखून टेढ़े-मेढ़े होने की दिक्कत भी हो सकती है। कई बार किसी चोट के कारण भी नाखूनों में फंगल इंफेक्शन हो सकता है। इसेक अलावा डायबिटीज में पैरों का आकार भी बदल जाता है।
एथलीट फुट
एथलीट फुट एक फंगल इन्फेक्शन है जिसके कारण पैरों में खुजली, लालिमा और दरारें पड़ जाती हैं। ये समस्याएं एक या दोनों पैरों में हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क कर दवा लें।