जल्दी सुधार लें खराब लाइफस्टाइल वरना हो जाएंगे लिवर से जुड़ी समस्याओं के शिकार

लिवर
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आजकल आरामदेह और अव्यवस्थित जीवनशैली के चलते लोगों को अनेक तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें से एक समस्या लिवर की भी है, खासकर फैटी लिवर, लिवर में सूजन, सिरोसिस जैसी समस्याएं अधिक देखने में आ रही हैं। खानपान में अशुद्धता के चलते लिवर की दिक्कत स्वाभाविक है। वहीं, अगर आप बहुत ज्यादा अल्कोहल पी रहे हैं, तो भी लिवर के कमजोर होने का खतरा बना रहता है। लिवर की कार्यप्रणाली बाधित हो जाने से अन्य तरह की भी स्वास्थ्य परेशानियां सामने आने लगती हैं। कुल मिलाकर कहें तो लिवर की समस्या का मुख्य कारण ही असंतुलित जीवनशैली है। ऐसे में इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ब्रह्मानंद मिश्र ने नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में हेप्टोलॉजी के एसो. प्रोफेसर डॉ. विनोद अरोड़ा से बातचीत की।

आहार व दिनचर्या का असंतुलन

आहार व दिनचर्या
आहार व दिनचर्या

डॉक्टर कहते हैं कि लगातार कई घंटे तक बैठकर काम करने, पर्याप्त शारीरिक श्रम नहीं करने और भोजन में जंक फूड की अधिकता, जैसे प्रोसेस्ड फूड्स, ज्यादा नमक और चीनी के कारण लिवर से जुड़ी दिक्कतें आ रही हैं। अशुद्ध भोजन से लिवर में चिकनापन और फैट बढ़ जाता है। लिवर के फैटी हो जाने के कारण आगे चलकर अन्य बीमारियों की भी आशंका रहती है।

लिवर से जुड़ी मुख्य समस्याएं

लिवर से जुड़ी मुख्य समस्याएं
लिवर से जुड़ी मुख्य समस्याएं

अस्त-व्यस्त जीवनशैली और अशुद्ध भोजन नॉन-अल्कॉहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) का कारण बन रहा है। आजकल मेटाबॉलिक एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज के रूप में एक नई तरह की समस्या भी देखने में आ रही है। इसे सामान्य भाषा में समझें तो अगर किसी को डायबिटीज, मोटापा या अनियंत्रित ब्लड प्रेशर जैसी समस्या है, तो लिवर की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। कमर के आसपास फैट इक_ा हो रहा है या गर्दन मोटी और काली हो रही है तो यह लिवर की समस्या के शुरुआती संकेत हैं। ऐसी हालत में लिवर की जांच अवश्य कराएं।

कब और कैसे कराएं जांच

फाइब्रो-स्कैन करा लेने से लिवर में हो रहे बदलाव का काफी हद तक पता चल जाता है। अगर फैट की अधिकता हो रही है, साथ ही नियमित और अधिक मात्रा में अल्कोहल पी रहे हैं,तो ये सभी कारण मिलकर लिवर के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। वहीं, अगर डायबिटीज है तो बेसलाइन पर फाइब्रो स्कैन, लिपिड प्रोफाइल, एलएफटी करा लेना चाहिए। इससे बीमारी को समझने और इसके आधार पर सही उपचार से उसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। कोशिश करें कि हर छह महीने से लेकर एक साल के बीच लिवर की जांच जरूर कराएं। अगर एलएफटी और अन्य टेस्ट सामान्य रेंज में हैं, तो लिवर की जांच एक से दो साल के अंतराल पर भी करा सकते हैं।

समस्या के शुरुआती लक्षण

लिवर में आ रही समस्या का आमतौर पर शुरुआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं उभरता। ऐसे में नियमित अंतराल पर जांच से इसका पता लगा सकते हैं। लिवर की बीमारी में कुछ लक्षण होते हैं, जिसे लेकर सतर्क हो जाना चाहिए। खासकर, सीधे हाथ में ऊपर की तरफ थोड़ा भारीपन महसूस हो सकता है।
आमतौर पर लिवर की बीमारी एडवांस चरण में पकड़ में आती है। गंभीरता बढऩे पर पैरों में सूजन, पेट का आकार बढऩे, पेट में पानी इक_ा होने जैसे लक्षण होने लगते हैं।

हेपेटाइटिस की स्क्रीनिंग भी है जरूरी

स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होने पर हेपेटाइटिस बी और सी की भी स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए। कभी जाने-अनजाने में ड्रग्स के प्रयोग, असुरक्षित यौन संबंध जैसे कारणों से भी हेपेटाइटिस की आशंका रहती है। इस बीमारी का बचाव संभव है, बशर्ते सही समय पर जांच हो और सही उपचार हो। वर्तमान में हेपेटाइटिस सी के लिए आसानी से उपचार उपलब्ध है।

बनाएं खानपान और व्यायाम के नियम

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है अच्छी हाइट और पर्याप्त एक्सरसाइज। भोजन में चीनी, फैट कम से कम रखें। प्रोटीन का अनुपात बढ़ाकर रखना चाहिए। अगर शाकाहारी हैं तो पनीर, सोया, बादाम, अखरोट, अन्य ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना लाभदायक होगा। शाकाहारी नहीं हैं, तो रेड मीट का सेवन कम करें, इससे बेहतर मछली और अंडे है। चिकन का सेवन हफ्ते में एक या दो बार ही करें। रोजाना कम से कम 15 मिनट की हेवी एक्सरसाइज करना जरूरी है। ब्रिस्क वॉक, वजन उठाने वाले एक्सरसाइज, साइकिलिंग, पैडलिंग आदि लिवर को सेहतमंद रखने में उपयोगी होते हैं।

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