किस्तों में घूस-ना बाबा.. ना..

कोई यह ना समझे कि हम किसी को कोई सीख दे रहे हैं। हम यह भी नही कह रहे हैं कि किस्तों में घूस लो। माना कि उधार प्रेम की कैंची है मगर ऐसी उधारी किस काम की जो मुंह पे कालिख पोत दे। कुल जमा संदेश यह कि ईमानदारी से काम करो। अपने फर्ज और कर्तव्यों का बखूबी पालन करो। भगवान ने तुम्हें इंसान जनम दिया है, जितनी हो सके सेवा करो। भला नही कर सको तो बुरा भी मत करो और चासे ये कि ‘पहले रहते यूं, तो तबले जाते क्यूं। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।


शुरू चाहे कहीं से भी करें बात घूम फिर कर वहीं आणी है, जहां-आनी चाहिए। यूं कहे कि वही आएगी, जहां हम पहुंचाना चाहते हैं। दूर तलक जाएगी तो भी वहीं आएगी और कनबतियां करें तो भी वहीं आएगी। लिहाजा बिस्मिल्लाह कहीं से भी करो, कुछ फरक पडऩे वाला नहीं। पड़ेगा तो उन पर जो इसके लपेटे में आने वाले हैं वरना हथाईबाज उन लोगों में से जो किसी बात का टेंशन नही लेते। किसी बात पर ज्यादा लोड नही लेते। मामला देश, समाज या सामाजिक हित का हो तो बात कुछ और वरना किस-किस को याद रखें.. किस-किस को रोएं, आराम बड़ी चीज है.. मुंह ढक के सोएं..। मुंह ढक के सोने का मतलब ये भी नही कि सच्चाई से आंखें चुरा लें। हथाईबाज जागरूक लोगों में शुमार माने जाते हैं। वो हर गंभीर मसले पर गंभीर। वो हर सीरियस मेटर पर सीरियस। यह बात दीगर है कि वो हर फिक्र को धुएं मे उड़ा देते हैं। कहते भी हैं-‘किसी बात पर टेंशन करने से अच्छा है कि तसल्ली के साथ उसका समाधान मिल बैठकर खोजा जाए तो ज्यादा बेहतर है। यही उनकी सीख भी है और सलाह भी।


कई लोगों को इस बात पर हैरत हो सकती है कि हथाई की शुरूआत में घूस और रिश्वतखोरी का जिक्र किया गया था और बात सलाह पर आ गई। तो भाई किसी बात की चर्चा करना कोई गुनाह तो नही। हथाई पर बढतें अपराधों पर भी चर्चा होती है। भ्रष्टाचार के मामलों पर लानत डाली जाती है। कुरीतियों और समाज विरोधी कृत्य-करतूतों को धिक्कारा जाता है, इसका मतलब ये तो नही कि इनका जिक्र करना ही गुनाह हो गया। हमने कहा कि कोई यह ना समझे कि किस्तों में घूस लेने की सलाह दी जा रही है। हम तो घूस और घूसखोरों के सखत विरोधी थे-हैं और रहेंगे। हमारा बस चले तो रंगे हाथों पकड़ीजते ही घूसखोरों को नई सड़क चौराहे पे खड़ा कर 151 कोड़े लगवा दें। कोडे मारने वाला गिनती भूल जाए तो एक से वापस शुरू।

दुनिया का तो पता नहीं, देश में पिछले लंबे समय से राय बहादुरों और सलाह वीरों की संख्या दिन-ब-दिन बढती जा रही है। जितने कोरोना संक्रमित चौबीस कलाक में बढते हैं उस से कई गुना ज्यादा संख्या मश्विरा खानों की। जिसे देखो वो सलाह देने में व्यस्त। कोई मांगे नहीं, तो भी राय का रायता तैयार। पियो भाई.. छक कर पियो..। पेशेवर लोग राय देने की फीस वसूलते हैं मगर हमारे राय वीर निशुल्क सेवा करते हैं। चार निशुल्क सलाह के साथ पांच और सलाह फ्री। एकदम फोगट में। उनकी सलाह खुद उनके घरवाले नही मानते। औलाद भी हंसती है, मगर देने में कोई कंजूसी नहीं। उनका बस चले तो ठेला लेकर गली-गुवाड़ी की ओर निकल जाएं और सुर लहरियां बिखरें-‘सलाह ले लो..सलाह..।


पर हथाईबाज जिस की बात कर रहे हैं उस पर सलाह का मुलम्मा चढाया जा सकता है। मगर, हम ऐसी कोई राय नही दे सकते जिस के सखत विरोधी रहे हों। हम ऐसी कोई सलाह नही दे सकते जो कानून और समाज विरोधी हो। कोई चोरी करता है तो हमारा फर्ज बनता हैं कि उसे रोका जाएं, यूं थोड़े ही कहेंगे कि जरा संभल के चोरी करियो, कहीं पकड़ा ना जाए। ऐसा हुआ तो हम समाज विरोधी कृत्य को प्रोत्साहन दे रहे हैं। पर हम-आप ऐसा करने वाले नहीं। हम तो सिरफ यह कहना चाहते हैं कि जिस कृत्य को कदापि नही करने की बात कर रहे हैं कोई उसे अन्यथा ना ले ले।


अगर ऐसा हुआ अथवा हो रहा है तो यह अगली पारटी की समझ और समझ भी उनके हिसाब से गलत नहीं। उधारी डूब जाए तो किसे दोष दें और किस्तें कस्ती डूबों दें-तो किसे दोष दें। कुल जमा ऐसे काम ही क्यूं करने जो बाद में मुंह छुपाना पड़े।

एसीबी ने कल-परसों जयपुर नगर निगम के एक सहायक अभियंता को नौ हजार की घूस लेते गिरफ्तार किया। यह रकम बकाया थी, जिसकी वसूली में एईएन बाबू धरीज गए। यह दूसरी किस्त थी, जिस के चक्कर में अभियंता को चक्कर आ गया। भाई ने एक बंदे से मकान का पट्टा बनाने के लिए तीस हजार की घूस मांगी थी। पहले इक्कीस हजार वसूल लिए, दूसरी किस्त वसूली में कूंडा हो गया। उधार रखी घूस राशि वसूलने के फेर में घूस लेने वाले का मुंह काला हो गया। अब घूसखोर जमात के लोग फुसफुसा रहे होंगे-‘किस्तों में घूस-ना बाबा.. ना..। घूस में उधारी-ना बाबा..ना।