
नई कार खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
नई दिल्ली। लगातार बढ़ रही महंगाई और कंपटीशन के बीच कार निर्माता कंपनियों के लिए कार बेचना काफी चुनौती भरा हो गया है, लेकिन कार कंपनियों ने इससे बचने की गली निकाल ली है। यह एक ऐसा रास्ता है, जिसका ग्राहक को पता तो दूर उसे इसका अहसास भी नहीं होता कि उसे कार खरीदते वक्त मोटा चूना लग गया है। हम बात कर रहे हैं फीचर्स कटौती की। इनमें से कुछ फीचर्स बहुत ही उपयोगी होते हैं, आइए इनके बारे में जान लेते हैं।
इंटीग्रेटेड हेडरेस्ट

कारों में दिए जाने वाले इंटीग्रेटेड हेडरेस्ट कास्ट कटिंग का सबसे बड़ा उदाहरण है। हालांकि इंटीग्रेटेड हेडरेस्ट स्पोर्टी दिख सकते हैं लेकिन ये व्यवहारिक रूप से उपयोगी नहीं साबित होते हैं। कंपनियां कम लागत होने की वजह से इन्हे किफायती कारों में उपयोग करती हैं।
अंडरसाइज्ड टायर

ज्यादातर कार निर्माता अपने लोअर वेरिएंट्स को छोटे टायर्स और व्हील्स के साथ पेश करते हैं। ये छोटे टायर और पहिए न केवल सस्ते दिखते हैं, बल्कि वे वाहन की गतिशीलता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये भी कास्ट कटिंग का हिस्सा है।
रियर वाइपर
कई कार निर्माता कंपनियां बेस की वजाय टॉप वेरिएंट में भी रियर वाइपर और वॉशर तक नहीं दे रहे हैं। लंबी ड्राइव और बरसात की स्थिति के दौरान यह बहुत जरूरी फीचर है। कार में रियर वाइपर और वॉशर न देने का उद्देश्य सीधे कास्ट कटिंग की ओर इशारा करता है।
आउटडेटेड गियरबॉक्स
यदि वर्ष 2023 में भी एक नई कार में 4-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ आती है तो इसका मतलब है कि कंपनी ने कार के लिए एक नया गियरबॉक्स विकसित करने की जहमत नहीं उठाई है। कास्ट कटिंग के नाम पर ये सबसे आउटडेटेड फीचर है।
साधारण स्पेयर की
यदि कार की प्राइमरी की काम नहीं कर रही है तो एक साधारण स्पेयर की का होना बहुत कष्टप्रद हो सकता है। कंपनियां सेमीकंडटर जैसो तमाम कंपोनेंट की लागत बचाने के लिए कार में ऐसी कटौती करती हैं।
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